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JNUSU Elections 2025: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हुए छात्रसंघ चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. मंगलवार को संपन्न हुए मतदान की मतगणना गुरुवार सुबह से शुरू होकर शाम तक चली, जिसमें इस बार भी लेफ्ट गठबंधन ने चारों पदों पर शानदार जीत दर्ज की. पिछले चुनाव में लेफ्ट ने तीन पदों पर कब्जा जमाया था, और इस बार उन्होंने पूर्ण बहुमत के साथ चारों सीटें जीतकर अपना वर्चस्व कायम रखा.
अध्यक्ष पद पर लेफ्ट की अदिति मिश्रा ने मारी बाजी
इस साल के चुनाव में अध्यक्ष (President) पद सबसे ज़्यादा चर्चित रहा. लेफ्ट की उम्मीदवार अदिति मिश्रा ने कड़े मुकाबले में एबीवीपी के विकास पटेल को हराकर जीत हासिल की. पीएसए की शिंदे विजयलक्ष्मी तीसरे स्थान पर रहीं जबकि एनएसयूआई के विकास कुमार चौथे स्थान पर रहे. स्वतंत्र उम्मीदवार अंगद सिंह और बीएपीएसए के राज रतन राजौरिया भी मैदान में थे, लेकिन उन्हें अपेक्षित समर्थन नहीं मिल सका.
अदिति ने जीत के बाद कहा- 'यह जीत जेएनयू के विचार, संवाद और समानता के संघर्ष की जीत है। हम लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की आवाज़ को और बुलंद करेंगे.'
#WATCH | Delhi | JNU Students' Union Election | The Left Unity alliance, consisting of the All India Students' Association (AISA), Students' Federation of India (SFI), and Democratic Students' Front (DSF), dominated the Jawaharlal Nehru University Students' Union (JNUSU)… pic.twitter.com/xluRyGrF9l
— ANI (@ANI) November 6, 2025
उपाध्यक्ष पद पर के. गोपिका का जलवा
उपाध्यक्ष (Vice President) पद पर भी लेफ्ट की उम्मीदवार के. गोपिका ने बढ़त बनाए रखी और अंततः जीत हासिल की. एबीवीपी की तान्या कुमारी दूसरे स्थान पर रहीं, जबकि एनएसयूआई के शेख शाहनवाज तीसरे नंबर पर रहे. गोपिका ने कहा कि यह जीत छात्राओं और प्रगतिशील विचारों की एकजुटता का परिणाम है.
जनरल सेक्रेटरी और संयुक्त सचिव पर भी लेफ्ट का कब्ज़ा
जनरल सेक्रेटरी पद पर शुरुआत में एबीवीपी के राजेश्वर कांत दुबे आगे चल रहे थे, लेकिन अंतिम दौर की गिनती में लेफ्ट के सुनील यादव ने बाजी पलट दी और निर्णायक जीत दर्ज की.वहीं संयुक्त सचिव पद पर लेफ्ट के दानिश अली ने जीत हासिल की। एबीवीपी की अंजू दमारा दूसरे स्थान पर रहीं.
जेएनयू में लेफ्ट का लगातार दबदबा कायम
जेएनयू में लंबे समय से लेफ्ट विचारधारा की पकड़ मजबूत रही है. हालांकि एबीवीपी और अन्य संगठनों ने इस बार कई नए चेहरे मैदान में उतारे, लेकिन वे लेफ्ट की एकजुटता और छात्र राजनीति में गहरी जड़ों को हिला नहीं सके.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इस जीत से यह स्पष्ट होता है कि जेएनयू के छात्रों में अभी भी प्रगतिशील और वैचारिक राजनीति का प्रभाव गहरा है.
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