भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिग की जांच के लिए जयशंकर ने दिया जोर, कहा- गतिविधि में शामिल लोगों के नाम सामने आने चाहिए

भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि ये जांच का विषय है. उन्होंने कहा कि इस दुर्भावनापूर्ण गतिविधि में कौन-कौन शामिल है, ये सामने आना चाहिए.

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Jalaj Kumar Mishra
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Jaishankar reacts on USAID and support Investigation to know Involved People

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भारत में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिका की फंडिंग का मामला देश में इन दिनोें चर्चा का विषय है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मामले में प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन की ओर से कुछ जानकारी मिली है और ये जाहिर तौर पर परेशान करने वाली है. ये चिंताजनक है. 

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जयशंकर ने की जांच की पैरवी

दरअसल, एस जयशंकर शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित साहित्य महोत्सव में पहुंचे थे. इस दौरान, उन्होंने कहा कि अमेरिका का कहना है कि उन्होंने भारत में वोटर टर्नआउट के लिए फंडिंग की है. इसकी जांच जरूरी है. अमेरिका से भी ऐसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों की जांच के लिए सुझाव दिए जा रहे हैं. अगर इस मामले में कुछ भी है तो देश को पता होना चाहिए. देशवासियों को मालूम होना चाहिए कि दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों में आखिर कौन लोग शामिल थे. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे संगठनों का दायित्व है कि इसे रिपोर्ट किया जाए. ऐसे में फैक्ट्स सामने आएंगे. 

विदेश मंत्रालय अमेरिकी फंडिंग की कर रहा है जांच

शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वे अमेरिकी फंडिंग की जांच कर रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने इसे परेशान करने वाला मामला बताया था क्योंकि ये घटना भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप से जुड़ा हुआ है. राजनीतिक विवाद इस वजह से और गहरा गया है.  

एनजीओ पर जयशंकर ने दी प्रतिक्रिया

व्हाइट हाउस ने चौथी बार इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि भारत में मतदान के लिए हम 21 मिलियन डॉलर रुपये दे रहे हैं. इसमें हमारा क्या है. ट्रंप ने इस दौरान, ये भी कहा कि ये पैसा रिश्वत का हो सकता है. विदेशी हस्तक्षेप की आशंका के बारे में जयशंकर ने कहा कि इंटरनेट के जमाने में सुरक्षा को पुख्ता करना जरूरी हो गया है. क्योंकि एनजीओ द्वारा विचार प्रक्रियाओं को प्रभावित करने और कहानियां गढ़ने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. जयशंकर ने कहा कि कुछ वैश्वीकरण माफिया हैं. इसमें अनिर्वाचित लोग शामिल हैं, जिन्हें लगता है कि अच्छे और बुरे का फैसला उन्हें ही करना चाहिए.

 

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