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सीएए के जरिए भारत ने खुद को ‘अलग-थलग’ कर लिया है : पूर्व विदेश सचिव

देश में इस कानून के लागू होने के कारण देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं.

Updated on: 04 Jan 2020, 03:00 AM

नई दिल्‍ली:

पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने संशोधित नागरिकता कानून को सरकार का आत्मघाती कदम बताते हुए कहा कि इस कदम से भारत ने खुद को 'अलग-थलग' कर लिया है और देश एवं विदेश में इसके विरुद्ध आवाज उठाने वालों की सूची 'काफी लंबी' है. शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में मेनन ने कहा कि इस कदम के नतीजतन भारत की तुलना 'असहिष्णु' देश पाकिस्तान से की जाने लगी है. सम्मेलन में कई विद्वानों ने विवादित कानून के लागू होने के बाद इसके प्रतिकूल असर पर चर्चा की. इस कानून के कारण देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, 'हाल के दिनों में हमने जो हासिल किया वह हमारी (भारत की) मौलिक छवि को पाकिस्तान से जोड़ता है, जो एक असहिष्णु देश है.' उन्होंने कहा कि कानून पारित होने के बाद भारत को लेकर नजरिया बदला है.

मेनन ने कहा, 'इस कदम से भारत ने खुद को अलग-थलग कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी इसके आलोचकों की सूची लंबी है. पिछले कुछ महीने में भारत के प्रति नजरिया बदला है. यहां तक कि हमारे मित्र भी हैरान हैं.' उन्होंने बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमान खान की उस टिप्पणी का हवाला दिया जिसमें सीएए और एनआरसी के बारे में पूछे जाने पर खान ने कहा था, 'उन्हें आपस में ही लड़ने दीजिए.' मेनन ने कहा, 'अगर हमारे मित्र ऐसा महसूस करते हैं तो सोचिए हमारे दुश्मन इससे कितने खुश होते होंगे.' उन्होंने कहा कि आज दुनिया हमारे बारे में क्या सोचती है यह पहले से अधिक मायने रखता है.

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उन्होंने कहा, 'लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह के (सीएए जैसे) कदम से हम खुद को दुनिया से काटने और अलग-थलग करने की ठान चुके हैं.' उन्होंने कहा, 'हमलोग अंतरराष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन करते दिख रहे हैं. जो लोग यह सोच रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू नहीं किया जा सकता उन्हें उन गंभीर राजनीतिक एवं अन्य परिणामों के बारे में सोचना चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय संधियों के उल्लंघनकर्ता के तौर पर भुगतने पड़ते हैं.' उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर की अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रस्तावित बैठक को रद्द करने का जिक्र करते हुए कहा, 'बैठक में शामिल होने और भारत के विचारों को आगे रखने के बजाय हमने इससे बचने का चुनाव किया.'

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भारत सरकार की आलोचक रहीं भारतीय मूल की अमेरिकी कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल की इस प्रतिनिधिमंडल में मौजूदगी के कारण जयशंकर ने यह बैठक रद्द कर दी थी. सीएए को आत्मघाती कदम बताते हुए मेनन ने कहा कि भारत ने अपने दुश्मनों को 'हम पर हमला करने का एक मंच उपहार' में दिया है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद 40 साल में पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर पर चर्चा हुई. प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में व्याख्यान देने वाले अन्य विद्वानों में जोया हसन, नीरजा जयाल और फैजान मुस्तफा एवं अन्य शामिल थे.