दिल्ली मेट्रो में पहले स्वदेशी आई-एटीएस सिस्टम का शुरू हुआ ट्रायल
दरअसल एटीएस एक कंप्यूटर आधारित सिस्टम है, जो ट्रेन परिचालन को नियंत्रित करता है. यह सिस्टम मेट्रो जैसे उच्च सघनता वाले ऑपरेशन के लिए अनिवार्य है, जहां प्रत्येक कुछ मिनट में सेवाएं निर्धारित हैं.
highlights
- 2002 में हुआ था राष्ट्रीय राजधानी में मेट्रो के सबसे पहले कॉरिडोर का उद्घाटन
- कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर दिल्ली मेट्रो के सफर को दर्शाती प्रदर्शनी का उद्घाटन
नई दिल्ली:
दिल्ली मेट्रो को 19 साल पूरे हो गए हैं, वहीं 20वें वर्ष के मौके पर यात्रियों के लिए नई तकनीक के साथ सुविधाओं में भी इजाफा किया जा रहा है. इसी के तहत दिल्ली मेट्रो की रेड लाइन शहीद स्थल-रिठाला पर शुक्रवार को पहला स्वदेशी देश में विकसित ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन टेक्नोलॉजी (आई-एटीएस) का फील्ड ट्रायल शुरू किया गया. इस (आई-एटीएस) टेक्नोलॉजी का विकास डीएमआरसी और बीईएल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है और इसे रेड लाइन पर क्रियान्वित किया जा रहा है. इसके बाद भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनका अपना एटीएस उत्पाद है. जिसे अन्य मेट्रो के साथ ही साथ रेल प्रणालियों पर भी क्रियान्वित किया जा सकता है.
ऐसी है तकनीक
दरअसल एटीएस एक कंप्यूटर आधारित सिस्टम है, जो ट्रेन परिचालन को नियंत्रित करता है. यह सिस्टम मेट्रो जैसे उच्च सघनता वाले ऑपरेशन के लिए अनिवार्य है, जहां प्रत्येक कुछ मिनट में सेवाएं निर्धारित हैं. आई-एटीएस सिस्टम का आगामी फेज-4 कॉरिडोरों में भी उपयोग किया जाएगा. वहीं फेज-4 कॉरिडोरों में आई-एटीएस सिस्टम का उपयोग करते हुए भावी (प्रेडिक्टिव) मेंटनेंस मॉड्यूल की भी शुरूआत की जाएगी. साथ ही आई-एटीएस सिस्टम का विकास मेट्रो रेलवे के लिए देश में ही निर्मित कम्यूनिकेशंस बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) आधारित सिगनलिंग टेक्नोलॉजी के विकास की ओर एक बड़ा कदम है, क्योंकि आई-एटीएस सीबीटीसी सिगनलिंग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण सब-सिस्टम है.
2002 में चली थी दिल्ली में पहली मेट्रो
इसके अलावा आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर विकसित दिल्ली मेट्रो की गौरवशाली यात्रा का चित्रण संबंधी प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया. यह वही स्थल है, जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में आज ही के दिन राष्ट्रीय राजधानी में मेट्रो के सबसे पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. इसे एक पूर्ण प्रदर्शनी के रूप में रि-डेवलप किया गया है जो आगंतुकों को अमूल्य फोटोग्राफ एवं कहानियों के माध्यम से भारत में जन परिवहन के क्षेत्र में नई क्रांति का सूत्रपात करने वाले उस ऐतिहासिक दिन को याद कराती हैं. यह प्रदर्शनी स्थायी तौर पर लगाई गई है और दिल्ली मेट्रो के सबसे बड़ी इंटरचेंज सुविधा का उपयोग करने वाले यात्री किसी अतिरिक्त खर्च के बिना यह प्रदर्शनी देख सकेंगे.
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