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delhi railway crowd (social media)
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने रेलवे से जवाब मांगा है. इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका डाली गई है. इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस तुषार राव गेडेला ने कहा कि उस दिन स्टेशन पर काफी भीड़ थी. लाखों की संख्या में लोग स्टेशन पर मौजूद थे. बुनियादी ढांचे के नजरिए से देखा जाए तो इस तरह की भीड़ को नियंत्रित करना संभव नहीं था. बाद में उपाए किए गए. इस दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि यह नागरिकों के जीवन से जुड़ा मामला है. हम रेलवे अधिनियम की धारा 57 और 157 पर रोशनी डालते हैं. हवाई अड्डों पर यह जानने को लेकर तंत्र हैं कि वहां पर कितने लोग हैं. मगर भारतीय रेलवे के पास किसी तरह का तंत्र मौजूद नहीं है.
एडवोकेट आदित्य त्रिवेदी के अनुसार, उनकी यह याचिका कुप्रबंधन, घोर लापरवाही और प्रशासन की बड़ी विफलता है. इसकी वजह से 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची.
हम व्यापक जनहित में आए हैं: याचिकाकर्ता
याचिका दायर करने वाले ने कहा कि अनारक्षित श्रेणी के लिए किसी तरह की अधिसूचना या परिपत्र नहीं है. अगर रेलवे नियमों का पालन करे तो इस तरह की दुर्घटना नहीं होगी. मगर रेलवे अपने ही नियमों का पालन नहीं कर रहा है. ऐसे में हम सुरक्षा की उम्मीद कैसे कर सकते हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में 15 फरवरी को मची भगदड़ के बाद अब अगली सुनवाई की तिथि 26 मार्च को तय की गई है.
जनहित याचिका को दायर करने वाले वकील ने कहा कि अगर हम अभी स्टेशन पर जाएं तो हमें प्लेटफॉर्म टिकट और ट्रेन टिकट के बिना काफी भीड़ दिखती है. हमने देखा कि प्लेटफॉर्म टिकट की जरूरत वाले रेलवे सर्कुलर का अनुपालन नहीं हो रहा है. अगर रेलवे अपने नियमों का पालन करता तो काफी चीजों को रोक लगाई जा सकती थी. हम व्यापक जनहित में आए हैं.
नियमों को लागू करने को लेकर निर्देश मांग रहे
इस पर ​चीफ जस्टिस का कहना है कि उनकी चिंता दुर्भाग्यपूर्ण घटना तक सीमित नहीं है. अगर रेलवे अपने नियम का पालन नहीं करता है तो ऐसे हालात पैदा न होते. वे रेलवे को भविष्य में अपने नियमों को लागू करने को लेकर निर्देश मांग रहे हैं. भारतीय रेलवे की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सामने आए. उन्होंने कहा कि मैं कोई विरोधी रुख को नहीं अपना रहा हूं. रेलवे अधिनियम के कार्यान्वयन को मजबूत किया जाए.