गुजरात-कैडर के अधिकारी मनोज शशिधर CBI के संयुक्त निदेशक नियुक्त
गुजरात कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी शशिधर को पांच साल की अवधि के लिए नियुक्त किया गया है.
दिल्ली:
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मनोज शशिधर को शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में संयुक्त निदेशक नियुक्त किया गया. कार्मिक मंत्रालय के एक आदेश में यह जानकारी दी गयी है. गुजरात कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी शशिधर को पांच साल की अवधि के लिए नियुक्त किया गया है. वह अभी अपने कैडर राज्य गुजरात में कार्यरत हैं. कभी देश के सबसे ताकतवर पुलिस अधिकारी माने जाने वाले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) समेत अपने सेवानिवृत्ति लाभ के लिए पिछले कुछ महीनों से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
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भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1979 बैच के अधिकारी वर्मा की पिछली पूरी सेवा अवधि पर उस समय रोक लगा दी गई जब सरकार द्वारा उन्हें प्रतिष्ठित सीबीआई निदेशक पद से हटाने के फैसले को उन्होंने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए चुनौती दी. गृह मंत्रालय द्वारा 14 अक्टूबर को लिखे गए गोपनीय पत्र को देखने के बाद पता चला कि वर्मा के जीपीएफ व अन्य लाभ पर रोक लगा दी गई है क्योंकि वह अनधिकृत अवकाश पर चले गए, जिसे सरकारी सेवा भंग करने का गंभीर मामला माना जाता है. वहीं इससे पहले चंडीगढ़ सतर्कता विभाग एक स्थानीय दंतचिकित्सक के इस आरोप की जांच करेगा कि सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक एनआरआई महिला की शिकायत पर पुलिस को उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने का दबाव डाला था.
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डॉ. मोहित धवन ने अस्थाना, चंडीगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक तजिंदर सिंह लुथरा, पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सतीश कुमार, निरीक्षक अश्वनी अत्री और एनआरआई महिला के खिलाफ पिछले साल नयी दिल्ली में सीबीआई निदेशक के सामने शिकायत दर्ज करायी थी. डॉक्टर ने पुलिस पर जबरन वसूली, उत्पीड़न और फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप भी लगाया था. सीबीआई ने हाल ही में यह शिकायत चंडीगढ़ के सतर्कता विभाग के पास भेजी थी. वर्ष 2018 में चंडीगढ़ पुलिस ने अमेरिकी नागरिक जी डिसूजा की शिकायत पर दंतचिकित्सक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. डिसूजा ने आरोप लगाया कि डॉ धवन ने उसका दांत संबंधी उपचार किया, वह उपयुक्त नहीं था. दंतचिकित्सक ने दावा किया था कि उनके खिलाफ पर वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी और चंडीगढ़ के पूर्व महानिदेशक के दबाव में मामला दर्ज किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि डिसूजा का सात लाख रूपये का चेक बाउंस होने पर उन्होंने मामला दर्ज कराया था.
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