गौरव की बात है कि योग को आज पूरे विश्व में स्वीकार्यता मिल गई है: आचार्य बालकृष्ण

'वर्ल्ड बुक फेयर’ में पंतजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा-आयुर्वेद स्वतंत्र है तथा इसकी किसी से उसका मुकाबला नहीं है. आयुर्वेद हमारे जीवन में रचा-बसा है जबकि एलोपैथी एक मजबूरी है

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Mohit Saxena
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आचार्य बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण Photograph: (social media)

द‍िल्‍ली के प्र​गति मैदान में 'वर्ल्ड बुक फेयर’ का आयोजन हो रहा है. इस दौरान पंतजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण भी यहां पहुंचे. उन्होंने कहा, ‘वर्ल्ड बुक फेयर’ जैसे आयोजन जनोपयोगी हैं. जिनमें विश्वस्तरीय ज्ञानपरक साहित्य सुलभ हो पाता है. उन्होंने कहा कि पतंजलि ने योग-आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई है. योग के विषय में आचार्य ने कहा कि यह गौरव की बात है कि योग को आज पूरे विश्व में स्वीकार्यता मिल गई है. 

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आयुर्वेद अपने आप में सम्पूर्ण विज्ञान

पूरे विश्व में लोग समान रूप से किसी शब्द के अर्थ को जानते हैं तो वह है योग. योग के व्यापक गहन अर्थ को अगर न भी जानते हों तो वह इतना तो जरूर जानते हैं कि यह ब्रिदिंग एक्सरसाइज, फिजिकल एक्सरसाइज, कुछ आसन, प्राणायाम के विषय में है. उन्होंने आयुर्वेद के संदर्भ में कहा कि आयुर्वेद को आयुर्वेद के रूप में स्थापित करने के लिए वैश्विक स्तर पर जो कार्य होना चाहिए था, वह हो नहीं पाया है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद अपने आप में सम्पूर्ण विज्ञान है. 

प्रकृति के अनुकूल जीवन यापन का प्रयास करना चाहिए

आयुर्वेद स्वतंत्र है तथा इसकी किसी से उसका मुकाबला नहीं है. उन्होंने कहा कि आम जीवन में एलोपैथी सिंथेटिक औषधी के रूप में है. आयुर्वेद हमारे जीवन में रचा-बसा है जबकि एलोपैथी एक मजबूरी है. आयुर्वेद को अगर औषधि विज्ञान या जड़ी-बूटी के रूप में व्यापक स्तर पर देखा जाए तो इसके लिए और अधिक कार्य करने की जरूरत है.  उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हमें यह सिखाता है कि प्रकृति के अनुरूप पदार्थों का उपयोग करते हुए प्रकृति के अनुकूल जीवन यापन का प्रयास करना चाहिए.

32 हजार औषधीय पौधों का सचित्र वर्णन

आचार्य ने बताया कि पतंजलि ने वर्ल्ड हर्बल इंसाइक्लोपीडिया के रूप में एक महाग्रंथ का प्रकाशन किया है. इसमें 32 हजार औषधीय पौधों का सचित्र वर्णन है. इससे पहले केवल 12 हजार औषधीय पौधों की जानकारी ही मौजूद थी. इसके अतिरिक्त हमने आयुर्वेद आधारित पुस्तक सौमित्रेयनिदानम् का प्रकाशन किया है. इसकी मदद से हमने संसार में पनप रहे नए रोग, नए विकार, नई व्याधियों का नवायुगाचार के अनुरूप स्वरूप, लक्षण  व निदान सचित्र प्रस्तुत कर एक चुनौतिपूर्ण कार्य किया है.

इसमें शरीर संरचना के आधार पर 14 खंडों में विभाजित करते हुए 6821 श्लोकों में 471 मुख्य व्याधियों समेत लगभग 500 व्याधियों का सचित्र वर्णन किया है. साथ ही ग्रन्थ के माध्यम से आयुर्वेद की परंपरा में प्रथम बार 2500 से अधिक चिकित्सकीय अवस्थाओं (Clinical Conditions) का वर्णन किया है.

गुणवत्ता व शुद्धता के सभी मापदंडों पर खरे हमारे उत्पाद 

पतंजलि के स्वदेशी उत्पादों के विषय में उन्होंने कहा कि पतंजलि के उत्पाद इस दृष्टि से निर्मित किया गया है, जिसका उपभोग हमारा परिवार कर रहा है. इसीलिए हमारे उत्पादों की गुणवत्ता व शुद्धता के सभी मापदंडों पर खरे रहते हैं. हमारे लिए देश  व्यापार नहीं, परिवार है. उन्होंने सभी उत्पादक कम्पनियों से आह्वान किया कि जो भी उत्पाद बनाएं अपने परिवार को ध्यान में रखते हुए बनाएं.

प्रेरणादायक आध्यात्‍म‍िक पुस्तकों का प्रकाशन किया

आचार्य ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप स्वयं या देश के लिए जो भी  कार्य कर रहे हैं, वह केवल आज के लिए न करें, अपितु यह सोचकर करें कि उस कार्य का लाभ उन्हें भविष्य में किस प्रकार मिल सकता है. आचार्य ने कहा कि हमने पतंजलि के माध्यम से योग, आयुर्वेद, शिक्षा, चिकित्सा, अनुसंधान, प्राचीन पाण्डुलिपि आधारित ग्रंथ तथा प्रेरणादायक आध्याधिक पुस्तकों का प्रकाशन किया है. इसके साथ ही भारतीय शिक्षा बोर्ड के तहत स्वदेशी शिक्षा व्यवस्था की नींव रखते हुए कक्षा-1 से कक्षा-10 तक के पाठ्यक्रम का प्रकाशन भी किया जा रहा है.

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