देश की राजधानी दिल्ली में अपराध के मामलों में लगातार इजाफा देखा जा रहा है और खास बात यह है कि इनमें बड़ी संख्या ऐसे युवाओं की है जो पहली बार किसी वारदात को अंजाम दिया है. दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, बीते साल 2024 में हुई 1.58 लाख गिरफ्तारियों में करीब 85% आरोपी ‘फर्स्ट टाइम क्रिमिनल’ थे. यानी ये ऐसे अपराधी थे जिनका इससे पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था.
पुलिस डोजियर से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले पांच सालों में गिरफ्तार किए गए आरोपियों में ‘फर्स्ट टाइमर’ की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है.
- 2024: 1,58,129 गिरफ्तार, 85% फर्स्ट टाइमर
- 2023: 1,62,412 गिरफ्तार, 83% फर्स्ट टाइमर
- 2022: 1,52,212 गिरफ्तार, 84% फर्स्ट टाइमर
- 2021: 1,47,115 गिरफ्तार, 80% फर्स्ट टाइमर
- 2020: 1,25,968 गिरफ्तार, 81% फर्स्ट टाइमर
दिल्ली पुलिस का मानना है कि हर साल 4% से 8% तक फर्स्ट टाइम अपराधियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है. एक बड़ी चिंता यह भी है कि जुवेनाइल अपराधियों (18 साल से कम उम्र के) का रिकॉर्ड मौजूदा कानूनों के चलते तैयार नहीं किया जा सकता, जिससे इन पर निगरानी भी मुश्किल होती है.
किस तरह के करते हैं क्राइम?
हालांकि, पहली बार अपराध में शामिल होने वाले अधिकतर युवा चोरी, लूट और झपटमारी जैसे सीधे अपराधों में शामिल पाए जाते हैं. ऐसे मामलों में पुलिस इन पर थोड़ी नरमी बरतती है और इन्हें सुधारने के लिए पुनर्वास कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं, जहां इन्हें रोजगार से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाती है.
आखिर युवा क्यों उठा रहे हैं ऐसे कदम?
इस मामले में हमने मनोचिकित्सक डॉ. मोहित शर्मा से भी बात की. उनके अनुसार, युवाओं में अपराध की ओर झुकाव की प्रमुख वजहें हैं, ग़लत संगत, नशे की लत, पारिवारिक अकेलापन और सोशल मीडिया पर अपराधियों की ग्लैमराइज की गई छवि. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो, जहां अपराधियों को हीरो की तरह दिखाया जाता है, युवाओं को आकर्षित करते हैं और वे भी पैसे और पहचान के लिए अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन युवाओं को सही समय पर सही दिशा दिखाई जाए, तो इन्हें अपराध की दुनिया में जाने से रोका जा सकता है. लेकिन फिलहाल जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे दिल्ली की कानून व्यवस्था और समाज के लिए खतरे की घंटी जरूर हैं.