फरवरी में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें एक ऐसा भी शख्स था जिसे जिंदा जला दिया गया था. निशानी के तौर पर उसका सिर्फ एक जला हुआ पैर बचा था. इस दर्द को गुलशन अभी तक भूल नहीं पाई है. वह उस हादसे को याद करते हुए बताती है कि दिल्ली हिंसा में उसके पिता अनवर को भी जाल दिया गया था. इस घटना को दो महीने से ज्यादा हो गए हैं. पिता की लाश के तौर पर सिर्फ जला हुआ पैर बचा है. गुलशन इसके मिलने का इंतजार कर रही है.
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गुलशन का कहना है कि कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. दिल्ली पुलिस ने अभी तक उसके पिता के अवशेष परिवार वालों को नहीं सौंपे हैं. गुलशन का कहना है कि कई बार तो पुलिस ने उसे डांट कर वापस भेज दिया है. पुलिस कह रही है कि लॉकडाउन लगा हुआ है. परेशान न तो जले हुए मांस में लिपटी एक हड्डी ही तो बची है. गुलशन का कहना है कि पुलिस के लिए वो सिर्फ एक हड्डी है लेकिन मेरे लिए मेरे पिता है. उसने कहा कि मुझे मेरे पिता के अवशेष वापस चाहिए जिससे मैं उन्हें आखिरी विदाईदे सकूं.
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21 मार्च से रोज लगा रही चक्कर
गुलशन कहा कहना है कि वह 21 मार्च से जीटीबी अस्पताल के चक्कर लगा रही है. डीएनए रिजल्ट का इंतजार कर रही है. गुलशन के वकील रितेश दुबे बताते हैं, 'गुलशन की तरह ही दिल्ली दंगे को दो अन्य मामलों में लॉकडाउन में ही परिजनों को लाश सौंप दी गई थी. लेकिन, गुलशन के मामले में ही देरी हो रही है.'
Source : News State