Delhi Election result: दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजों ने बीजेपी के 27 साल के वनवास को खत्म किया और एक बार फिर जनता ने बीजेपी को सरकार बनाने का मैंडेट दिया. बीजेपी ने उस आम आदमी पार्टी की सत्ता को हिलाया जो कहा करती थी कि AAP के रहते बीजेपी कभी भी दिल्ली की सत्ता में नहीं आ सकती. बीजेपी न सिर्फ दिल्ली की सत्ता में आई बल्कि भारी बहुमत से आई. 70 सदनीय विधानसभा में बीजेपी को जहां 48 सीट मिली तो वहीं आम आदमी पार्टी के खाते में 22 सीटें गईं. कांग्रेस ने हार की हैट्रिक लगाई और इस बार भी जीरो पर आउट हो गई. ऐसे में हम जानते हैं बीजेपी के उस जादू के बारे में, जिसने सबको चौंका कर रख दिया.
अगर हम कैटेगरी के हिसाब से देखें तो बीजेपी ने 12 एससी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा जिनमें से 4 को जीत मिली. वहीं, 22 ओबीसी कैंडिडेट खड़े हुए जिनमें से 16 को जीत मिली. यानी दिल्ली में एससी मतदाता ने बीजेपी से दूरी ही बनाए रखी लेकिन ओबीसी मतदाता खुलकर बीजेपी के साथ आ गए. अगर हम पॉपुलेशन वाइज बात करें तो दिल्ली में सात ऐसी सीटें थीं जहां ओबीसी 10 फीसदी से ज्यादा हैं. कमाल की बात है कि बीजेपी ने सातों की सात सीट जीत लीं.
कास्ट के आधार पर बीजेपी की जीत का गणित
अगर हम कास्ट के आधार पर पॉपुलेशन की बात करें तो जहां सिख वोटर 10 फीसदी से ज्यादा थे वहां 4 में से 3 सीट बीजेपी ने जीती. जिन 28 सीटों पर पंजाबी मतदाता 10 फीसदी से ज्यादा थे, वहां 23 सीटों पर विजय की गाथा बीजेपी ने लिखी.जहां 10 फीसदी से ज्यादा गुज्जर मतदाता थे, वहां 5 में से 2 सीटें बीजेपी के खाते में गईं. दिल्ली की 13 सीटों पर जाट मतदाता 10 फीसदी से ज्यादा थे जिनमें से 11 पर बीजेपी ने परचम लहराया. दिल्ली की 9 सीटों पर वाल्मिकी वोटर्स 10 फीसदी से ज्यादा थे जिनमें से 4 सीटें बीजेपी को मिलीं. जाटवों का मन भी इस बार फिफ्टी-फिफ्टी रहा तो ऐसी 12 सीटें जहां 10 फीसदी से ज्यादा जाटव वोट थे, वहां बीजेपी को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई.
दिल्ली में बसे बाहर के राज्यों के वोटरों का क्या रहा मन
अब बात कर लेते हैं उन सीटों की जहां बाहर के राज्यों के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. दिल्ली में बीजेपी के 6 पूर्वांचली कैंडिडेट्स खड़े हुए जिनमें से 4 को जीत मिली. तो वहीं 14 हरियाणवी कैंडिडेट्स में से 12 को जीत मिली. बीजेपी ने 3 उत्तराखंडी कैंडिडेट भी उतारे जिनमें से 2 को जीत मिली
वहीं अगर जनसंख्या के आंकड़ों को देखें तो दिल्ली की 35 सीटों पर 15 फीसदी पूर्वांचली वोटर्स हैं जिनमें से बीजेपी को 25 सीटों पर जीत मिली. वहीं, 13 ऐसी सीटें हैं जहां 5 फीसदी से ज्यादा हरियाणवी वोटर्स हैं. वहां, 12 सीटें बीजेपी की झोली में गईं.
सीमावर्ती राज्यों का क्या रहा असर
किसी राज्य की जनता पर आसपास के राज्यों का भी असर होता है. अगर हम दिल्ली की बात करें तो 22 ऐसी सीटें हैं जिनकी सीमाएं हरियाणा और यूपी से मिलती हैं. इनमें से 15 पर बीजेपी को जीत मिली. यूपी से दिल्ली की 13 सीटों लगी हुईं हैं जिनमें से 7 पर बीजेपी को जीत मिली. हरियाणा बॉर्डर से दिल्ली की 11 सीटों की सीमाएं लगी हैं जहां बीजेपी को 9 सीटों पर जीत मिली.
झुग्गी-झोपड़ी में कैसा रहा बीजेपी का प्रदर्शन
दिल्ली के वोटर्स झुग्गी बस्तियों में भी भारी संख्या में हैं. दिल्ली में 7 झुग्गी-झोपड़ी वाली सीटें हैं जिनमें से 4 पर बीजेपी को जीत मिली. इन सीटों के नाम तिमारपुर, बादली, न्यू दिल्ली और आरके पुरम हैं.
कांग्रेस ने किस तरह किया AAP का बंटाधार
अगर हम बात करें कांग्रेस के प्रदर्शन की तो कांग्रेस दिल्ली की 70 सीटों में से तीन सीटों पर तीसरे स्थान पर रही. उन सीटों के नाम महरौली, ओखला और मुस्तफाबाद हैं. दिल्ली की 14 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का खेल बिगाड़ दिया. इन सीटों के नाम तिमारपुर, बादली, नांगलोई जाट, मादीपुर, राजिंदर नगर, न्यू दिल्ली, जंगपुरा, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर, महरौली, छतरपुर, संगम विहार, ग्रेटर कैलाश और त्रिलोकपुरी हैं.
किस सीट पर किसने बाजी मारी...इसे देखने के लिए क्लिक करें इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट की लिंंक...
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