केन्द्र सरकार ने चमड़ा, स्टील, लोहा और कॉफी की औद्योगिक इकाइयों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिये पर्यावरण मानकों में संशोधन किया है. पर्यावरण, वन, एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को बताया कि इस क्षेत्र के विशेषज्ञों और पक्षकारों से पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद मंत्रालय ने इन उद्योगों के पर्यावरण मानकों को संशोधित कर दिया है.
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जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, 'पर्यावरण मंत्रालय ने चर्मशोधन इकाइयों, लोहा, स्टील एवं कॉफी उद्योगों के विशेषज्ञों और संबद्ध पक्षकारों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद इन उद्योगों के पर्यावरण मानकों को नये सिरे से संशोधित किया गया है. नये मानकों का मकसद स्वच्छ और हरित पर्यावरण सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करना है.'
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लोहा और स्टील उद्योग के पर्यावरण मानकों में 31 मार्च 2012 को संशोधन किया गया था. पिछले सात वर्षों में पर्यावरण की चिंताओं और विकास संबंधी जरूरतों में व्यापक बदलाव के कारण मानकों को नये सिरे से संशोधित किया गया है. इसके तहत इन औद्योगिक इकाइयों के लिये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कार्बन सहित अन्य तत्वों के उत्सर्जन के मानकों को सख्त बनाया गया है.
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उन्होंने ये भी बताया कि साथ ही स्टील एवं लौह औद्योगिक इकाइयों के लिये शोधित गैस आधारित ऊर्जा संयंत्र और ब्वॉयलर लगाने की अनिवार्यता को मानकों में शामिल किया गया है. इसी प्रकार, कॉफी और चमड़ा उद्योग के लिये पर्यावरण मानकों में 1996 और 2008 में संशोधन किया गया था. नये मानकों के तहत कॉफी एवं चमड़ा शोधन की प्रक्रिया के उत्सर्जन मानकों को सख्त किया गया है.