डीयू कैंपस से बाहर पहुंचा दिल्ली सरकार के खिलाफ डूटा का आंदोलन
दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के 12 कॉलेजों में उतपन्न हुए आर्थिक संकट के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने मेट्रो स्टेशन (Metro Stations), बाजारों व अन्य स्थानों पर जाकर लोगों को इस विषय में जानकारी दी.
highlights
- दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के ये सभी 12 कॉलेजों दिल्ली सरकार द्वारा 100 फीसदी वित्त पोषित हैं
- लॉकडाउन के दौरान इन 12 कॉलेजों के कर्मचारियों को जिस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा
- दिल्ली सरकार द्वारा समय पर ग्रांट जारी करने से इंकार करने की सख्त आलोचना की
नई दिल्ली:
दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के 12 कॉलेजों में उतपन्न हुए आर्थिक संकट के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने मेट्रो स्टेशन (Metro Stations), बाजारों व अन्य स्थानों पर जाकर लोगों को इस विषय में जानकारी दी. दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन यानी डूटा (Duta) इस विषय पर जन जागरूकता पैदा करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है. आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहे दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के ये सभी 12 कॉलेजों दिल्ली सरकार द्वारा 100 फीसदी वित्त पोषित हैं. अपना प्रदर्शन दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर से आगे बढ़ते हुए डूटा ने शनिवार को डीयू (DU) मेट्रो स्टेशन, नेहरू प्लेस मेट्रो स्टेशन, रिठाला मेट्रो स्टेशन, द्वारका मोर मेट्रो स्टेशन और डॉ भीम राव अंबेडकर कॉलेज (Dr. Bhim Rao Ambedkar College) के बाहर पर्चे और हैंडबिल वितरित किए.
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डूटा के अध्यक्ष राजीब रे ने कहा कि जगह-जगह कोविड -19 (Coronavirus Covid 19) के सभी प्रतिबंधों का पालन करते हुए, कार्यकर्ताओं ने छात्रों, अभिभावकों और आम जनता से बात करते हुए उन्हें समझाया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक, दिल्ली सरकार (Delhi Government) के खिलाफ हड़ताल पर क्यों हैं.
डूटा अध्यक्ष राजीब रे ने कहा कि लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के दौरान इन 12 कॉलेजों के कर्मचारियों को जिस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा, उसे जानकर लोग हैरान रह गए. अब भी इन कॉलेजों में वेतन और पेंशन में देरी हो रही है. लोगों ने दिल्ली सरकार द्वारा समय पर ग्रांट जारी करने से इंकार करने की सख्त आलोचना की.
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शिक्षकों ने आम जनता को समझाया कि दिल्ली सरकार (Delhi Government) इन 12 कॉलेजों को फैसले जबरन अपनाने के लिए मजबूर कर रही है. लोगों का मत था कि दिल्ली विश्वविद्यालय के इन 12 कॉलेजों के निजीकरण और उन्हें खत्म करने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध किया जाना चाहिए. डूटा (Duta) ने दिल्ली सरकार को चेतावनी दी है कि अगर वह लंबे समय से लंबित मांगों को तुरंत पूरा नहीं करती है तो डूटा अपना आंदोलन तेज कर देगा.
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