logo-image

दिल्ली निगम के चुनाव टालने के लिए इलेक्शन कमीशन को जेल में डालने की धमकी दी गई : दुर्गेश पाठक

‘आप’ एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पठाक ने कहा कि देश का लोकतंत्र खतरे में है. हार के डर से बीजेपी ने स्टेट इलेक्शन कमिश्नर को जेल में डालने की धमकी देकर दिल्ली निगम चुनाव को टाला.

Updated on: 13 Mar 2022, 08:32 PM

नई दिल्ली:

‘आप’ एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पठाक ने कहा कि देश का लोकतंत्र खतरे में है. हार के डर से बीजेपी ने स्टेट इलेक्शन कमिश्नर को जेल में डालने की धमकी देकर दिल्ली निगम चुनाव को टाला. बीजेपी पहले भ्रष्ट लोगों को अहम पदों पर बिठाती है, समय आने पर डरा-धमकाकर मनचाहा काम करवाती है. प्रेसवार्ता में मौजूद ‘आप’ विधायक आतिशी ने कहा कि यह लोकतंत्र के अंत की शुरुआत है, हार के डर से आज निगम चुनाव टाला है, कल को राज्य के चुनाव टाल सकते हैं. यदि केंद्र यूनिफिकेशन चाहती है तो वह चुनाव के बाद भी संभव है, आज हम 3 हाउस में बैठते हैं, 6 महीनों बाद एक हाउस में बैठ सकते हैं. टी.एन शेषन जैसे लोग इस देश में चीफ इलेक्शन कमीशन रहे हैं. ऐसे लोग इलेक्शन कमीशन को इतनी ऊंचाई पर ले गए हैं कि इस पूरे देश, पूरी दुनिया में भारत के इलेक्शन कमीशन पर कभी कोई सवाल नहीं उठा सकता है. लेकिन आज इलेक्शन कमीशन की फ्री एंड फेयर इलेक्शन करवाने की जो योग्यता है, आज उसपर सवाल उठ रहे हैं.

9 मार्च को इलेक्शन की तय तारीख की घोषणा होने वाली थी

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया. दुर्गेश पाठक ने कहा कि दिल्ली में एमसीडी के चुनाव होने वाले थे. 9 मार्च को शाम 5 बजे दिल्ली के इलेक्शन कमीशन ने मीडिया को बुलाया. हर जगह यही खबर थी कि वह इलेक्शन के कोड ऑफ कंडक्ट को निकाल चुके हैं. 9 मार्च को इलेक्शन की तय तारीख की घोषणा होने वाली थी. शाम को प्रेसवार्ता मंग एस.के श्रीवास्तव आकर कहते हैं कि उन्हें थोड़ी देर पहले केंद्र सरकार से एक चिट्ठी मिली है, जिसमें कहा गया है कि वह तीनों एमसीडी को एक करना चाहते हैं, इसलिए फिलहाल इलेक्शन को टाल दिया जाए. प्रेसवार्ता में यह भी कहा गया कि हालांकि यूनिफिकेशन का इलेक्शन से कोई लेना देना नहीं है, वह चाहें तो इलेक्शन करा सकते हैं. लेकिन अभी इसकी अनुमति नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि 19 या 20 मई से पहले इल्केशन कराए जा सकते हैं. लेकिन जिस तरह की खबरे आ रही हैं, ऐसा लग रहा है कि इलेक्शन कमीशन दिल्ली में एमसीडी के चुनाव केंद्र सरकार के दबाव में नहीं कराएगा.

272 में से 250 से अधिक सीटें आम आदमी पार्टी जीत सकती है

भारतीय जनता पार्टी एमसीडी के चुनाव से भाग रही है क्योंकि उन्हें पता है कि 15 सालों के कार्यकाल में उन्होंने दिल्ली की जनता पर जो कहर ढाया है, उसके बाद उनकी हार निश्चित है. हमारा सर्वे, खुद बीजेपी के सर्वे, मीडिया का सर्वे यह कहता है कि 272 में से 250 से अधिक सीटें आम आदमी पार्टी जीत सकती है. दिल्ली में अगर एमसीडी के चुनाव हों, तो भाजपा को मुश्किल से 5-10 सीटें मिलेंगी. तो भारतीय जनता पार्टी चुनाव से भाग रही है. उन्होंने दिल्ली के स्टेट इलेक्शन कमिश्नर एस.के श्रावास्तव पर चुनाव टालने का दबाव बनाया. बहुत विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि स्टेट इलेक्शन कमिश्नर के भ्रष्टाचार की फाइल पीएमओ ने बनाई हुई है. उन्हें बुलाकर डाराया धमकाया गया कि अगर आपने इलेक्शन नहीं टाले, तो आपको जेल में डाल दिया जाएगा. कमिश्नर ने डर में आकर चुनाव को टाल दिया.

इस देश को चलाने का एक विशेष स्टाइल बन चुका है

यह पीएमओ का एक पुराना स्टाइल है. सबसे पहले वह लिस्ट बनाते हैं कि देश में कौन-कौन भ्रष्ट अधिकारी हैं. उनके भ्रष्टाचार की फाइल बनाते हैं और फिर उन अधिकारियों को अहम पदों पर भर्ती कर देते हैं. उसके बाद उन्हें धमकी देकर उनसे मनचाहा काम कराते हैं. इस देश को चलाने का एक विशेष स्टाइल बन चुका है. आज दिल्ली के इलेक्शन कमीशन को डराया जा रहा है. मैं एक ही चीज़ कहना चाहता हूं कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है. हमारे देश की आज़ादी और संविधान के लिए लाखों लोगों ने अपनी जान दी है. वह जेल में रहे हैं. ना जाने कितनी महिलाओं का सुहाग उजड़ गया, तब जाकर यह देश आज़ाद हुआ. अगर इस प्रकार भ्रष्ट अधिकारियों को लोकतांत्रिक संस्थाओं में पोस्ट देने के बाद उन्हें धमकाकर असवेंधानिक काम कराएंगे तो यह देश नहीं बचेगा. यहां का लोकतंत्र नहीं बचेगा. अगर इस देश में चुनाव नहीं होंगे तो यहां भी तानाशाही की शुरुआती हो जाएगी. जिस प्रकार से औरंगज़ेब का शासन था, उसी प्रकार से प्रधानमंत्री का शासन पूर देश में चलेगा.

हम सबको इस बात पर फक्र है कि भारत एक लोकतंत्र है

प्रेसवार्ता में उपस्थित कालकाजी विधानसभा से ‘आप’ विधायक आतिशी ने कहा कि जैसा कि हम सब जानते हैं  और हम सबको इस बात पर फक्र है कि भारत एक लोकतंत्र है. एक लोकतंत्र है, जहां जनता का शासन चलता है. एक लोकतंत्र है, जहां चाहे कोई अमीर हो या गरीब हो, चाहे किसी धर्म का हो या किसी जाति का हो, उसे 5 साल में एक बार वोट करने का मौका मिलता है. वह जिस पार्टी या जिस नेता को चाहे, उठाकर बाहर फेंक सकता है. वह जिस पार्टी या जिस नेता को चाहे, सरकार में ला सकता है। मुख्यमंत्री बना सकता है, मंत्री बना सकता है, प्रधानमंत्री बना सकता है, यह लोकतंत्र की ताकत है. भारत के इतिहास में जबसे भारत आज़ाद हुआ है, बहुत उतार चढ़ाव आए हैं. हमारे देश के इतिहास में काले अक्षरों से लिखा गया, लेकिन इमरजेंसी को छोड़कर भारत के लोकतंत्र पर आजतक कभी सवाल नहीं उठा.

जब से भारत आज़ाद हुआ है, तबसे ऐसा कभी नहीं हुआ

चाहे कोई भी सरकार रही हो, चाहे वह चर्चा में रही हो या नहीं रही हो, चुनाव हुए हैं. क्यों? क्योंकि भारत में जो इलेक्शन कमीशन नाम की संस्था है, वह हर प्रकार की राजनीति से ऊपर रही है. जबसे भारत आज़ाद हुआ है, तबसे ऐसा कभी नहीं हुआ है कि भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश में चुनाव नहीं हो सकते हैं. लेकिन पिछले 75 सालों में भारत के लोकतंत्र ने पूरी दुनिया को जवाब दिया और तबसे यहां हर 5 सालों में चुनाव होता है. आजतक इलेक्शन कमीशन की फ्री एंड फेयर इलेक्शन करवाने की जो योग्यता है, उसपर कभी कोई सवाल नहीं उठा. टी.एन शेषन जैसे लोग इस देश में चीफ इलेक्शन कमीशन रहे हैं। ऐसे लोग इलेक्शन कमीशन को इतनी ऊंचाई पर ले गए हैं कि इस पूरे देश, पूरी दुनिया में भारत के इलेक्शन कमीशन पर कभी कोई सवाल नहीं उठा सकता है। भारत के लोकतंत्र पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है.

दिल्ली के इलेक्शन स्टेट कमिश्नर को डराया जाता

लेकिन आज दिल्ली में जो हो रहा है. दिल्ली के निगम चुनाव की घोषणा के कुछ समय पहले दिल्ली के इलेक्शन स्टेट कमिश्नर को डराया जाता है, धमकाया जाता है. जिसके बाद वह चुनाव को टाल देते हैं।. आज इस देश के इतिहास में पहली बार देश के इलेक्शन कमीशन पर सावल उठ रहा है. जब 5 साल में चुनाव होने ही हैं, जब स्टेट इलेक्सन कमिश्नर एस.के श्रावास्तव खुद प्रेसवार्ता में कहते हैं कि यूनिफिकेशन और चुनाव का कोई लेना-देना नहीं है. जब तीनों एमसीडी विभाजित हुईं, उससे पहले तो एक एकीकृत एमसीडी में चुनाव हुआ था. पहले एक हाउस में बैठते थे। लेकिन जब नया कानून पास हुआ, तब तीन अलग-अलग हाउस बन गए, तब भी चुनाव फिर से नहीं हुआ. आज भी अगर तीनों एमसीडी में अलग-अलग चुनाव हो जाएं और केंद्र सरकार यह सोचती है कि हम यूनिफाई करना चाहते हैं, तो जैसे आज हम तीन हाउस में बैठे हैं, 6 महीनों बाद एक हाउस में बैठ सकते हैं. तो स्वभाविक तौर पर यह कोई कारण नहीं है। कारण यह है कि भाजपा को पता है कि वह चुनाव हारने वाली है। इसलिए आज लोकतंत्र की धज्जियां उड़ रही हैं.

लेक्शन कमीशन की अखंडता पर सवाल उठा रहा है

मैं दिल्ली के स्टेट इलेक्सन कमिश्नर एस.के श्रीवास्तव से कहना चाहता हूं कि आज ना सिर्फ पूरी दिल्ली बल्कि पूरा देश आपको देख रहा है. आज इलेक्शन कमीशन की अखंडता पर सवाल उठा रहा है.आज देश के इतिहास में ऐसा समय आया है जहां लोग सोच रहे हैं कि यह इलेक्शन कमीशन फ्री एंड फेयर इलेक्शन करवाएगा कि वह केंद्र सरकार के, भारतीय जनता पार्टी के और पीएमओ के दबाव में आजाएगा। आज पूरा देश देख रहा है. यदि आज स्टेट कमिश्नर एस.के. श्रीवास्तव पीएमओ के दबाव में आकर आज यह एमसीडी का चुनाव टाल देते हैं, तो श्रीवास्तव जी का नाम देश के लोकतंत्र में काले अक्षरों में लिखा जाएगा क्योंकि यह एक शुरुआत है. यह एक शुरुआत है, जब एमसीडी के चुनाव को रोका जा रहा है. क्या पता कल को अगर भाजपा कोई चुनाव हार रही हो, तो एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर जैसे आज एमसीडी का चुनाव टालकर देख लिया है, कल किसी राज्य का चुनाव टल जाएगा. फिर क्या पता, लोकसभा का चुनाव हो और भाजपा हार रही हो, तो वह कहे कि हमें 2 राज्यों को एक करना है, इसलिए अभी चुनाव नहीं हो सकते हैं.