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delhi Photograph: (Social Media)
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), भारतीय सेना और दिल्ली, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों के सहयोग से ‘EXERCISE SURAKSHA CHAKRA’ नामक मॉक ड्रिल का आयोजन 29 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक किया जाएगा. यह बहु-राज्यीय और बहु-एजेंसी अभ्यास अब तक का सबसे बड़ा अभ्यास होगा, जिसका उद्देश्य भूकंप व रासायनिक औद्योगिक आपदाओं जैसी बड़ी घटनाओं से निपटने के लिए एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है.
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1 अगस्त को मॉक ड्रिल: आम जनता के लिए विशेष सूचना
1 अगस्त को इस अभ्यास का मुख्य चरण आयोजित होगा, जिसमें भूकंप जैसी आपदा के लिए व्यापक स्तर पर मॉक ड्रिल की जाएगी. यह एक साथ एनसीआर के सभी 18 जिलों में किया जाएगा.
इस दिन निम्नलिखित गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं:
• आपातकालीन वाहनों की आवाजाही में वृद्धि: सड़क पर एम्बुलेंस, दमकल, पुलिस और सेना के वाहन अधिक संख्या में दिख सकते हैं.
• रिस्पॉन्स टीमों की तैनाती: NDRF, सेना, सिविल डिफेंस और अन्य एजेंसियों के कर्मी विभिन्न स्थानों पर तैनात रहेंगे.
• सायरनों और घोषणाओं का उपयोग: ड्रिल की शुरुआत सायरन या सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली से की जा सकती है.
• फील्ड सुविधाओं की स्थापना: राहत शिविर, चिकित्सा सहायता केंद्र, स्टेजिंग एरिया आदि अस्थाई रूप से स्थापित किए जाएंगे.
• राहत और बचाव अभियानों का प्रदर्शन: डमी घायलों के इलाज, बचाव, और निकालने की प्रक्रिया का अभ्यास किया जाएगा.
इस अभ्यास का उद्देश्य जनता को जागरूक करना और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों की प्रभावशीलता को परखना है.
ड्रिल की रूपरेखा
• 29 जुलाई: मानेकशॉ सेंटर, दिल्ली में उच्च स्तरीय संगोष्ठी, जिसमें सभी एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी आपदा जोखिम और रणनीतियों पर विचार करेंगे.
• 30 जुलाई: मानेकशॉ सेंटर में ‘टेबल टॉप एक्सरसाइज़’, जिसमें नकली परिदृश्यों के अनुसार योजनाओं पर चर्चा और अभ्यास होगा.
• 1 अगस्त: पूरे एनसीआर में फील्ड स्तर की मॉक ड्रिल.
अभ्यास में शामिल जिले
दिल्ली (11 जिले): सेंट्रल, ईस्ट, न्यू दिल्ली, नॉर्थ, नॉर्थ ईस्ट, नॉर्थ वेस्ट, शाहदरा, साउथ, साउथ ईस्ट, साउथ वेस्ट और वेस्ट दिल्ली.
हरियाणा (5 जिले): गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह और रेवाड़ी.
उत्तर प्रदेश (2 जिले): गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद.
इस अभ्यास में सेना, अर्धसैनिक बल, मौसम विभाग (IMD), भूकंपीय अध्ययन केंद्र (NCS), और विभिन्न तकनीकी एवं सामाजिक संगठनों की भागीदारी होगी.
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