Delhi Violence: दिल्ली हिंसा में आपबीती बयां करते हुए सिहर उठे पीड़ित

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा का खौफनाक मंजर याद करते हुए पीड़ितों ने बताई आपबीती, किसी को मकान मालिक ने निकाला घर से...तो कोई पथराव में हुआ घायल.

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा का खौफनाक मंजर याद करते हुए पीड़ितों ने बताई आपबीती, किसी को मकान मालिक ने निकाला घर से...तो कोई पथराव में हुआ घायल.

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Vineeta Mandal
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Delhi Violence: दिल्ली हिंसा में आपबीती बयां करते हुए सिहर उठे पीड़ित

Delhi violence( Photo Credit : (फाइल फोटो))

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा का खौफनाक मंजर याद करते हुए पीड़ितों ने बताई आपबीती, किसी को मकान मालिक ने निकाला घर से...तो कोई पथराव में हुआ घायल. आपबीती बयां करते सिहर उठे मोहम्मद आसिफ ने बताया कि कैसे उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया और दंगाइयों की उन्मादी भीड़ ने लोहे की छड़ों से उनकी ऐसे पिटाई की कि उन्हें गंभीर चोटे आ गई. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रहने वाले 20 साल के आसिफ ने बताया कि मकान मालिक के मंगलवार सुबह उन्हें घर से निकाल देने के बाद हमले से उनका बच पाना मुश्किल ही था.

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उन्होंने कहा, 'भीड़ ने मुझ पर हमला किया क्योंकि मुझे सड़क पर छोड़ दिया गया था. मैं उत्तर प्रेदश से हूं, मेरे मकान मालिक ने मुझे घर से निकाल दिया था और मेरे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी.' जीटीबी अस्पताल में मुंह पर खून के धब्बे लगे डरे सहमे बैठे आसिफ के सिर और एक पैर पर पट्टियां बंधी थी. उसके एक हाथ में भी चोट आई है.

उन्होंने कहा, 'मैंने शाहजहांपुर में अपने घर वालों को बता दिया है और वे मुझे लेने आ रहे हैं.' आसिफ कोट बनाने वाली एक छोटी इकाई में काम करता है और उत्तर पूर्वी दिल्ली के घोंडा चौक पर रहता था. वहीं हिंसा का शिकार हुए सुमित कुमार बघेल (28) ने बताया कि कैसे उनके भाई एक जलती इमारत की चपेट में आ गए और खुद कैसे सड़कों पर पथराव का शिकार हुए.

अस्पताल में फर्श पर बैठे बघेल ने उस भयानक मंजर को याद करते हुए कहा, 'मेरा भाई दुर्घटनावश एक जलती इमारत की चेपट में आ गया और झुलस गया. बाकियों ने उसकी मदद की और हम उसे अस्पताल लाए.' सुमित के पैर में भी पथराव के दौरान चोटे आई हैं.

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उन्होंने कहा, 'मेरा भाई यहां भर्ती है. हमारे आस पड़ोस में कभी ऐसी हिंसा नहीं हुई, हमने ईद और दिवाली हमेशा साथ मनाई है. दिल्ली में यह क्या हो रहा है.' इस दौरान कई परिवार अपने रिश्तेदारों के शव लेने के लिए शवगृह के बाहर भी खड़े नजर आए. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर हुई साम्प्रदायिक हिंसा में अभी तक 34 लोगों की जान जा चुकी है. 

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