Delhi: जमीयत उलमा-ए-हिंद कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक, वक्फ कानून, पहलगाम आतंकी हमला समेत ये रहेंगे मुद्दे

Delhi: जमीयत उलमा-ए-हिंद कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक का आयोजन शनिवार से दिल्ली में शुरू हो रहा है. इस बैठक में संगठन से जुड़े सभी पदाधिकारी शामिल होंगे. जिसमें वक्फ कानून, पहलगाम आतंकी हमला समेत कई मुद्दों पर चर्चा होगी.

Syyed Aamir Husain & Suhel Khan
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Jamiat Ulama-e-Hind Working Committee

जमीयत उलमा-ए-हिंद कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक

Jamiat Ulama-e-Hind: जमीयत उलमा-ए-हिंद कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक शनिवार से दिल्ली में शुरू होने जा रही है. इस बैठक का मुख्य मुद्दा देश की मौजूदा राजनीतिक पृष्ठभूमि है. जिसमें वक्फ कानून से लेकर पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर चर्चा की जाएगी. इस बैठक में जमीयत उलमा-ए-हिंद के देश भर के सभी राज्यों के अध्यक्ष, महासचिव, जिम्मेदार और अन्य प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इस सम्मेलन के एजेंडे में वक्फ़ कानून को लेकर कानूनी संघर्ष, पहलगाम में हुआ आतंकी हमला, देश में बढ़ती नफरत ओर तनाव तथा सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन के बावजूद धर्म की बुनियाद पर मस्जिद मदरसो को बुलडोजर द्वारा ध्वस्त कर देना जैसे मुद्दे शामिल हैं. 

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जमीयत उलमा-ए-हिंद देश का सबसे बड़ा और सबसे सक्रिय संगठन है. जो देश सेवा के साथ मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मुद्दों की आवाज उठाता रहा है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग देशभक्ति और एकता के साथ रहते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण हमारा संविधान है. यह भी एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि देश को गुलामी से आज़ादी मिलने के बाद संविधान निर्माण में जमीयत उलमा-ए-हिंद की एक अहम भूमिका रही है. देश की आज़ादी की लड़ाई में जमीयत उलमा-ए-हिंद का योगदान भी इतिहास में दर्ज है.

सेकुलरिज़्म को मज़बूत करने की कोशिश

जमीयत उलमा-ए-हिंद देश में बढ़ती नफरत और सांप्रदायिकता को हराने, सेकुलरिज़्म को मज़बूत करने और संविधान व लोकतंत्र की हिफ़ाज़त को यक़ीनी बनाने के लिए काम कर रही है. ये संगठन "एकता में विविधता और विविधता में एकता" के सिद्धांत को न केवल मानता है बल्कि धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत की बुनियाद पर लोगों की मदद और मार्गदर्शन देने का भी काम करता है. जमीयत उलमा-ए-हिंद नफ़रत और सांप्रदायिकता को देश की एकता और सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा मानती है. शांति, एकता और सहिष्णुता इस देश की चमकदार परंपरा रही है.

जमीयत उलमा-ए-हिंद का मानना है कि आतंकवाद, चाहे वो किसी भी रूप में हो, एक अत्यंत निंदनीय और अस्वीकार्य कार्य है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अपने बयान में कहा है कि इस्लाम में आतंकवाद की कोई जगह नहीं है और जो लोग ऐसा करते हैं वे इंसान नहीं कहे जा सकते. निर्दोषों की हत्या किसी भी धर्म में जायज़ नहीं है, और इस्लाम में तो एक निर्दोष की हत्या को पूरी मानवता की हत्या के बराबर बताया गया है.

सम्मेलन में इन मुद्दों पर होगी चर्चा

मौलाना मदनी ने कहा कि हमले के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना स्थानीय लोगों ने धर्म से ऊपर उठकर जिस तरह पर्यटकों को आतंकियों से बचाया और ज़ख़्मियों को अपनी पीठ पर लादकर अस्पताल पहुंचाया, वह प्रशंसा के योग्य है. यह इस बात का जीता-जागता सबूत है कि कश्मीर के लोग आतंकवाद के ख़िलाफ़ हैं और शांति व एकता के समर्थक हैं. दिल्ली में होने जा रहे दो दिवसीय सम्मेलन में इस आतंकी हमले और उसके बाद पैदा हुई स्थिति पर गंभीर विचार-विमर्श किया जाएगा. इसके साथ ही नए वक्फ़ क़ानून को लेकर भी चर्चा की जाएगी.

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