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गीता कॉलोनी की रहने वाली 'गीता' ऐसे बनी सेक्स रैकेट की किंगपिन सोनू पंजाबन

सोनू पंजाबन के चर्चा में आने की वजह थी उसकी मासूमियत और बेहद कम उम्र, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ वह दबंग होती गई. वह आदमी देखकर बात करना जानती थी शालीनता से बात करते करते कब गालियों को बौछार कर दे समझना मुश्किल था.

Updated on: 23 Jul 2020, 06:28 PM

नई दिल्‍ली:

दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में सबसे बड़ा सेक्स रैकेट चलाने वाली कुख्यात गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन को दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने 24 साल की सजा सुनाई है. जबकि उसके सहयोगी संदीप को 20 साल की सजा का ऐलान किया गया है. नाबालिग लड़की को जबरन देह व्यापार में धकेलने के आरोप में सोनू पंजाबन को ये सजा मिली है. वहीं उसके साथी संदीप को नाबालिग के साथ रेप करने और उसे देह व्यापार में जबरन धकेलने के आरोप में सजा सुनाई गई है. गीता कॉलोनी की रहने वाली गीता देह व्यापार के धंधे में इतनी तेजी से आगे बढ़ी की उसको सेक्स रैकेट की किंगपिन सोनू पंजाबन बनते देर न लगी. उसने कॉरपोरेट कंपनी की तरह सेक्स रैकेट चलाना शुरू कर दिया था. सोनू पंजाबन के चर्चा में आने की वजह थी उसकी मासूमियत और बेहद कम उम्र, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ वह दबंग होती गई. वह आदमी देखकर बात करना जानती थी शालीनता से बात करते करते कब गालियों को बौछार कर दे समझना मुश्किल था. इसलिए उसके किरदार का इस्तेमाल फिल्मों में भी हुआ. 


सोनू पंजाबन जब बोलती तो अच्छों अच्छों की बोलती बंद हो जाती थी. धंधे में कोई आड़े न आए, इसके लिए सोनू पंजाबन कुख्यात अपराधियों की संगत में रहने लगी. कहते हैं कि उसने जिन तीन गैंगस्टर से एक एक करके शादी की, उसके पीछे का मकसद भी जुर्म की दुनिया में अपना दबदबा बनकर रखना था. यहां पर सबसे ज्यादा हैरान करने वाली एक बात ये भी है कि उसके तीनों माफिया पतियों का एक-एक करके पुलिस एनकाउंटर कर दिया गया.

भोले चेहरे के पीछे है शातिर दिमाग
दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने हाल ही में सोनू पंजाबन और संदीप को दोषी करार दिया था. दोषी करार दिए जाने के 2 दिन बाद तिहाड़ जेल में बंद शातिर सोनू पंजाबन ने मेडिसिन खाकर आत्महत्या का ड्रामा भी किया था. लेकिन अस्पताल में उसका इलाज किया गया और वो बिल्कुल ठीक हो गई थी. सोनू पंजाबन से मिलने वाले बताते हैं कि उसके व्यक्तित्व में अजीब किस्म की दबंगई है. भोले चेहरे के पीछे शातिर दिमाग काम करता है. मासूमियत से बात करना भी जानती है और जरूरत पर फर्राटेदार गालियां देती है. उसे किसी से डर नहीं लगता. पुलिस से तो एकदम नहीं. बताया जाता है कि अगर पहली गिरफ्तारी को छोड़ दिया जाए तो कभी भी वह पुलिस के सामने गिड़गिड़ाई नहीं और नखरे और नाटक कर पुलिसवालों के नाक में दम कर दिया. फिलहाल उसके गुनाहों का हिसाब बाकी है.

सोनू पंजाबन पर लगे हैं ये आरोप
मामला 2009 का है. बच्ची ने पुलिस को जो कहानी सुनाई उसके मुताबिक 2006 में वह 12 साल की थी, जब वह छठी क्लास में थी तो उसकी दोस्ती संदीप नाम के शख्स से हुई. दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ा. संदीप ने उसे शादी का झांसा दिया और दिल्ली में ले जाकर रेप किया. संदीप ने बच्ची को अलग-अलग लोगों को 10 बार बेचा. इसके बाद बच्ची को सोनू पंजाबन को सौंपा गया. सोनू ने जबरन उसे जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया. उसे नशे के इंजेक्शन दिए गए और दिल्ली-हरियाणा-पंजाब तक में उसे कई लोगों के सामने परोसा गया. बाद में सतपाल नाम के शख्स ने उससे जबरन शादी कर ली. बच्ची किसी तरह भागकर नजफगढ़ थाने पहुंची और आपबीती सुनाई. 2009 में सोनू पंजाबन और उसके साथी संदीप के खिलाफ केस दर्ज किया गया.

एक के बाद एक करके सोनू ने तीन गैंगस्टर्स से की थीं शादियां
पंजाबन ने उसी से शादी की जो जुर्म की दुनिया में रम चुका था. दबी जुबान से लोग यह भी कहते हैं कि उन्हीं दबंगों के बल पर उसने अपना कारोबार खड़ा किया और उसी की मुखबिरी से वो मारे भी गए. लेकिन ऐसे आरोप साबित नहीं किए जा सकते. ऐसे लोगों का मारा जाना संयोग भी हो सकता है कि वे जुर्म की दुनिया के बड़े नाम थे. हज 17 साल की उम्र में उसने हरियाणा के हिस्ट्रीशीटर विजय से शादी कर ली, जो यूपी के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का करीबी था.

सोनू के तीनों पतियों को पुलिस ने एनकाउंटर में किया ढेर
यूपी एसटीएफ ने विजय को 2003 में हापुड़ में मार गिराया. इसके बाद उसने पावर और पैसे के लिए सेक्स रैकेट शुरू कर दिया. फिर आपराधिक संरक्षण के लिए उसने बदमाश दीपक सोनू से शादी कर ली, जो 2004 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. फिर उसने दीपक के छोटे भाई हेमंत सोनू से शादी की. वह भी 2006 में पुलिस एनकाउंटर में ढेर हो गया. गीता अरोड़ा यहीं से सोनू पंजाबन बन गई. वह हेमंत के दोस्त अशोक बंटी के नजदीक आ गई, जिसने उसे बड़े पैमाने पर सेक्स रैकेट चलाने का आइडिया दिया. कुछ समय बाद अशोक भी पुलिस के हाथों मारा गया. सोनू का काला कारोबार नई ऊंचाइयां छू चुका था. एक कंपनी की तरह उसने कई लड़कों को दलाल के तौर पर रखा था, जिनका काम कम उम्र की लड़कियों को फांसकर लाना था. कई मॉडल और स्कूल-कॉलेज की लड़कियां तक वह सप्लाई करने लगी.

दीपक और हेमंत को भी पुलिस ने किया ढेर
2003-04 के आसपास दीपक सोनू और हेमंत सोनू जुर्म की दुनिया के बड़े नाम थे. उन पर अपहरण और फिरौती के कई मामले दर्ज थे. गीता अरोड़ा को समझ में आ गया था कि अगर आगे बढ़ना है तो ऐसे लोगों की शरण उसकी राह मुफीद कर सकती है. वह सोनू ब्रदर्स की शरण में आई और दीपक सोनू से शादी कर ली. लेकिन यह शादी बहुत दिन नहीं चल पाई. 2004 में दीपक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. इसके बाद गीता ने उसके छोटे भाई हेमंत सोनू का दामन थाम लिया. बताया जाता है कि हेमंत से गीता ने शादी कर ली लेकिन वह भी 2006 में एक एनकाउंटर में मारा गया.

17 साल की उम्र में हुई थी सोनू की शादी और लगा था मकोका
रोहतक की रहने वाली गीता अरोड़ा के पिता रोजगार की तलाश में दिल्ली आए थे. वह ऑटो रिक्शा चलाते थे. 10वीं पास करने के बाद ही उसने ब्यूटी पार्लर खोल लिया. 17 साल में उसकी शादी विजय सिंह से हुई, वह एक हिस्ट्रीशीटर था. श्रीप्रकाश शुक्ला से उसके संबध बताए जाते थे. 2003 में यूपी एसटीएफ ने उसे मार गिराया. गीता को पैसों की किल्लत होने लगी. ब्यूटी पॉर्लर की कमाई से न घर चल रहा था न महात्वाकांक्षाएं पूरी हो रही थीं. परिस्थितियां ऐसी बदलीं कि वह कॉलगर्ल बन गई. विजय सिंह के साथ की वजह से उसे पावर की अहमियत पता चली. आखिरकार अप्रैल 2011 में सोनू पंजाबन को 4 लड़कियों और 4 लड़कों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. इस बार उस पर मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट 1999) लगाया गया. पुलिस के अनुसार पैसा कमाने के लिए वह संगठित तरीके से सेक्स रैकेट चला रही थी. लेकिन पुलिस आरोप साबित नहीं कर पाई और सोनू पंजाबन मकोका से बरी हो गई.