/newsnation/media/media_files/2025/07/09/rekha-gupta-2025-07-09-19-06-38.jpg)
rekha gupta Photograph: (Social media)
दिल्ली में पहली बार, दिल्ली कैबिनेट ने श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के 350वें शहीदी पर्व के उपलक्ष्य में लाल क़िला, चांदनी चौक में दो दिवसीय कार्यक्रम की मंज़ूरी दी है. यह वही स्थान है जहाँ गुरु साहिब ने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया था. यह कार्यक्रम दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा विभाग द्वारा आयोजित किया जाएगा जिसमें खास Light & Sound शो, कीर्तन दरबार, पैनल चर्चाएं, पेंटिंग और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की प्रदर्शनी और गुरु जी की शिक्षाओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद और सार्वजनिक पाठ शामिल होगा.
यह दिल्ली में अपनी तरह का पहला आयोजन होगा
दिल्ली के कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और अपने कैबिनेट सहयोगियों को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने इस ऐतिहासिक श्रद्धांजलि को मंज़ूरी दी — यह दिल्ली में अपनी तरह का पहला आयोजन होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरणादायक मार्गदर्शन में और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के प्रभावशाली नेतृत्व के तहत, यह आयोजन दिल्ली और सिख विरासत के रिश्ते को सम्मान और स्थायित्व देगा. गुरु तेग़ बहादुर जी का बलिदान सिर्फ सिख इतिहास नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए आज़ादी, सहिष्णुता और न्याय का संदेश है.” सिरसा ने यह भी बताया कि दिल्ली के जैनपुर क्षेत्र में जो मियावाकी जंगल विकसित किया जा रहा है, वह गुरु तेग़ बहादुर जी को समर्पित किया जाएगा — जो प्रकृति और सेवा के प्रति सिख समुदाय की भावना का प्रतीक होगा.
यह दो दिवसीय कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा
उन्होंने आगे कहा, “लाल क़िले पर होने वाला यह दो दिवसीय कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा — हम न सिर्फ़ उस स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे जहाँ गुरु साहिब ने बलिदान दिया, बल्कि उनकी शिक्षाओं को हर नागरिक तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे. उनकी बाणी का सार्वजनिक पाठ और अनुवाद लोगों को उनके सार्वभौमिक संदेश से जोड़ने का माध्यम बनेगा.” इस आयोजन से जुड़ी एक अहम शैक्षणिक पहल के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय ने “भारतीय इतिहास में सिख शहादत” नाम से नया कोर्स शुरू किया है. गौरतलब है कि बीते जून माह में मंत्री सिरसा ने वरिष्ठ सिख नेताओं और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (DSGMC) के सदस्यों के साथ बैठक कर शहीदी दिवस आयोजन के सुझाव लिए थे. इसी बैठक में सिख इतिहास पर विश्वविद्यालय स्तर पर कोर्स की मांग उठी थी, जिसे अब दिल्ली विश्वविद्यालय ने साकार किया है.
जून की बैठक में जो सुझाव आए थे
मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि “जून की बैठक में जो सुझाव आए थे, उनमें से एक अहम सुझाव था कि सिख गुरुओं की शिक्षाओं को अकादमिक रूप से स्थायी रूप देना चाहिए. आज मैं गर्व से कह सकता हूँ कि दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने उस विजन को अपनाया है. यह दिल्ली में समावेशी शासन का नतीजा है,” इसके अलावा, दिल्ली सरकार साल भर स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों पर चित्रकला, ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की प्रदर्शनी और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करेगी. प्रतियोगिताएं, व्याख्यान और संवाद के ज़रिए युवाओं को गुरु तेग़ बहादुर जी की विरासत से जोड़ा जाएगा और उन्हें दिल्ली की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ों से परिचित कराया जाएगा.