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हाईकोर्ट ने IT के नोटिस का जवाब देने के लिए रॉबर्ट वाड्रा को दिया और वक्त

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 दिसंबर, 2018 और 18 दिसंबर, 2019 को ब्लैक मनी एक्ट, 2015 के तहत रॉबर्ट वाड्रा को जारी किए गए नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर आयकर विभाग को नोटिस जारी किया.

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Shailendra Kumar
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Delhi High court

दिल्ली हाईकोर्ट( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 दिसंबर, 2018 और 18 दिसंबर, 2019 को ब्लैक मनी एक्ट, 2015 के तहत रॉबर्ट वाड्रा को जारी किए गए नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर आयकर विभाग को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने रॉबर्ट वाड्रा को I-T विभाग द्वारा उन्हें जारी किए गए नोटिस का जवाब देने के लिए 3 और सप्ताह का समय दिया है. आयकर विभाग द्वारा जारी नोटिस का जवाब देने के लिए कारोबारी रॉबर्ट वाद्रा (Robert Vadra) को दिल्ली हाइकोर्ट (Delhi High Court) ने दिया तीन सप्ताह का और समय दिया है.  

कोर्ट ने कहा कि आयकर विभाग कार्रवाई जारी रख सकता है, लेकिन उसके द्वारा कोई अंतिम आदेश जारी नहीं किया जाएगा. आयकर विभाग ने रॉबर्ट वाड्रा को काला धन कानून के तहत नोटिस जारी किए हैं. कोर्ट ने आयकर विभाग को नोटिस जारी कर वाड्रा की याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. वाड्रा ने आयकर विभाग द्वारा काला धन कानून, 2015 की धारा 10 (1) के तहत चार दिसंबर 2018 और 18 दिसंबर 2019 को जारी किए गए नोटिस को चुनौती दी है. कोर्ट 10 अगस्त को करेगा इस मामले में अगिला सुनवाई.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग द्वारा जारी नोटिस का जवाब देने के लिए कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा को शुक्रवार को तीन सप्ताह का समय और दे दिया. अदालत ने कहा कि आयकर विभाग आकलन कार्यवाही जारी रख सकता है, लेकिन उसके द्वारा कोई अंतिम आदेश जारी नहीं किया जाएगा. आयकर विभाग ने वाड्रा को काला धन कानून के तहत नोटिस जारी किए हैं. न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने आयकर विभाग को नोटिस जारी कर वाद्रा की याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

जारी हुआ था रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा ने 2018 और 2019 में खुद को जारी किए गए नोटिस और इस साल सात मई को जारी किए गए 'कारण बताओ नोटिस' तथा 17 और 22 मई को जारी किए गए पत्रों को अवैध एवं असंवैधानिक घोषित किए जाने का आग्रह किया है. उनका तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन है.

Source : News Nation Bureau

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