दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने शुक्रवार को कहा कि शहर में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से मान्यता प्राप्त ‘दुकान जैसे स्कूलों ’ की जांच के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त समिति में सिर्फ सुर में सुर मिलाने वाले लोग शामिल हैं और उन्हें ऐसे स्कूलों में कोई गड़बड़ी नहीं दिखती। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने यह टिप्पणी तब कि जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD Ministry) ने दावा किया कि चार केंद्रों की जांच की गई और वहां सभी नियम पूरे मिले।
सरकार का पक्ष रखने वाली मोनिका अरोड़ा ने न्यायालय में कहा कि समिति ने चार अध्ययन केंद्रों का दौरा किया और सभी का क्षेत्रफल दुकानों से ज्यादा मिला। इनका क्षेत्रफल करीब 800 वर्ग गज था।
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अरोड़ा ने पीठ को यह भी बताया कि अध्ययन केंद्र कक्षा आठ तक के बच्चों की जरूरतों को आसपास के अल्पसंख्यक समुदायों की सहायता से पूरा कर रहे थे। न्यायालय ने मंत्रालय को जाँच की रिपोर्ट के साथ हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है और मामले को जनवरी में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
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न्यायालय दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिनमें से एक दिल्ली निवासी मोहम्मद कामरान ने ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई के लिए दायर की थी। दूसरी याचिका ट्रस्ट द्वारा दायर की गयी थी जिसमें दिल्ली सरकार द्वारा ट्रस्ट के कुछ स्कूलों को बंद करने का निर्देश दिया गया था। ट्रस्ट ने अपने बचाव में कहा है कि वह अल्पसंख्यक संस्थान है और एनआईओएस द्वारा मान्यता प्राप्त है।
Source : Bhasha