दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता ताहिर हुसैन की 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप तय करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने कहा, याचिका और इससे जुड़ी अर्जियों को खारिज किया जाता है. विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है. हुसैन फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में मनी लॉन्ड्रिंग और एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शनों और दंगों में कथित भूमिका के कारण चर्चा में हैं.
ईडी के एक अधिकारी ने पहले कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, जो पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध हैं. अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान यह पाया गया कि हुसैन और उसके रिश्तेदारों के स्वामित्व या नियंत्रण वाली कंपनियों ने संदिग्ध संस्थाओं को बड़ी मात्रा में धन हस्तांतरित किया, जिसे उन्होंने नकद में वापस कर दिया.
ईडी ने अक्टूबर 2020 में दाखिल अपनी चार्जशीट में कहा, हुसैन द्वारा प्राप्त नकदी का इस्तेमाल सीएए विरोधी प्रदर्शनों और दिल्ली दंगों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था. जांच में हुसैन और उनकी कंपनियों की अवैध धनशोधन में भी संलिप्तता का पता चला है.
ईडी ने 23 जून को हुसैन और उनके परिवार के सदस्यों के दिल्ली, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आवासीय और व्यावसायिक परिसरों की तलाशी ली थी, जिसमें फर्जी चालान सहित आपत्तिजनक दस्तावेज और सबूत बरामद हुए थे, जिनका इस्तेमाल फर्जी तरीके से धन के हस्तांतरण के लिए किया गया था.
इसके अलावा, वह हिंसा भड़काने की साजिश से जुड़े मामले में भी मुख्य आरोपी है. फरवरी 2020 में नए नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें नियंत्रण से बाहर हो गईं. व्यापक हिंसा में 53 लोग मारे गए और 748 घायल हो गए.
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Source : IANS