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पंजाब के सरकारी स्कूलों को नंबर वन बताने पर दिल्ली सरकार को ऐतराज

दिल्ली सरकार के मुताबिक जहां 2-3 वर्षो में 800 सरकारी स्कूलों को बंद करना पड़ा हो उसे नंबर 1 का तमगा देना राजनीतिक जुगलबंदी है.

Updated on: 12 Jun 2021, 04:47 PM

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार द्वारा कुछ दिनों पहले जारी की गए रिपोर्ट में पंजाब के सरकारी स्कूलों को देश में नंबर वन बताया गया. दिल्ली सरकार ने इसपर आपत्ति दर्ज की है. दिल्ली सरकार के मुताबिक जहां 2-3 वर्षो में 800 सरकारी स्कूलों को बंद करना पड़ा हो उसे नंबर 1 का तमगा देना राजनीतिक जुगलबंदी है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट पंजाब के सरकारी स्कूल जिनमें न बुनियादी ढांचे है और न ही बुनियादी सुविधाएं उन्हें शानदार बता रही है. वहीं दिल्ली के स्कूलों को बेकार बता रही है. ये रिपोर्ट पंजाब के चुनाव से पहले कैप्टन सरकार को मोदी के आशीर्वाद के रूप में मिला है.

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सिसोदिया ने कहा कि पिछले पंजाब चुनाव से पहले भी कैप्टन साहब को केंद्र का आशीर्वाद मिला था. कैप्टन साहब को इस बार भी इसकी भूमिका बनानी शुरू कर दी गयी है. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ये रिपोर्ट उस समय जारी किया गया है जब पंजाब की जनता कैप्टन सरकार से पिछले 4 साल में शिक्षा को लेकर उनके किए गए कामों का हिसाब मांग रही है कि अबतक पंजाब के स्कूल ठीक क्यों नहीं हुए. पंजाब के सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति के बारे में बताते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि पंजाब के सरकारी स्कूलों में न पढ़ाई हो रही है, न ही उनके बुनियादी ढांचे को सुधारने पर कोई काम किया गया है. लेकिन केंद्र सरकार, कैप्टन सरकार की नाकामियों पर अपनी रिपोर्ट के द्वारा पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं.

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उपमुख्यमंत्री ने पंजाब के स्कूलों पर कहा कि सरकारी स्कूलों के बदतर हालात के कारण पंजाब में अभिभावकों को अपने बच्चों को मजबूरी में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ना पड़ रहा है. हालात ये है कि पंजाब के सरकारी स्कूल में शराब की फैक्ट्री पाई गई है. कैप्टन सरकार इस कदर नाकाम हो चुकी है कि पंजाब में पिछले 2-3 साल में ही 800 से ज्यादा सरकारी स्कूलों को बंद करना पड़ा है और सैकड़ों सरकारी स्कूलों को चलाने के लिए निजी संस्थानों को सौंप दिया गया है. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद से ही पंजाब सरकार लगातार विज्ञापन देकर अपनी पीठ थपथपा रही है और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी नाकामियों को केंद्र की रिपोर्ट और विज्ञापनों की आड़ में छुपा रही है.