दिल्ली सरकार प्रदूषण को कम करने में लगी है, BJP नेता झूठ फैलाने में, बोले- गोपाल राय
दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर दिल्लीवासियों ने अभियान छेड़ा हुआ है.
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर दिल्लीवासियों ने अभियान छेड़ा हुआ है. जहां एक तरफ सरकार दिल्ली के प्रदूषण को कम करने में लगी है, दूसरी तरफ बीजेपी के नेता दिल्ली में प्रदूषण को करने की जगह झूठ बोल रहे हैं और दुष्प्रचार कर रहे हैं. रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ का विजय गोयल विरोध कर रहे हैं. अभी कूड़े का पहाड़ जल रहा है और वे झूठे आरोप लगाने में व्यस्त हैं.
पिछले 2 महीने से दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली जलने से दिल्ली का दम घूंट रहा है. PUSA ने जो नई खोज की उसका दिल्ली सरकार ने प्रयोग किया और ये काफी सफल रहा. आज बीजेपी के नेताओं ने कॉन्फ्रेंस करके कहा कि दिल्ली में कहीं छिड़काव नहीं हुआ. हमें छिड़काव करने में 20 दिन लग गए. वे लोग कह रहे हैं कि हमने पूसा संस्थान से बात की है. दिल्ली सरकार ने तो कैप्सूल खरीदा ही नहीं है. इससे बड़ा झूठ क्या हो सकता है. हर चीज़ की एक हद होती है.
विपक्ष का काम विरोध करना है करिए, लेकिन सरासर झूठ बोलना और तथ्यहीन बातें बोलना ठीक नहीं है. दिल्ली के अंदर 15 हजार एकड़ पर धान की खेती होती है, 2000 एकड़ में नॉन बासमती की खेती होती है और 13 हज़ार एकड़ खेती में बासमती होता है. उसकी किसान ज़मीन से कटाई होती है और इस खेती में पराली का ढंठल नहीं आता और उसे जलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती. 2 हजार एकड़ जमीन पर पराली रह जाती है जिसे किसान जलाता है और प्रदूषण होता है.
हमने 11 सितम्बर को पूसा के वैज्ञानिकों से बात की. उन्होंने बताया कि एक ऐसा कैप्सूल बनाया है, जिससे पराली को गलाया जा सकता है. 16 सितंबर को मैं पूसा संस्थान में गया और पूरी तकनीक को समझा. 23 सितंबर को सीएम आवास पर प्रजेंटेशन हुआ. 24 सितंबर को सीएम पूसा ने संस्थान में जमीन पर जाकर प्रजेंटेशन देखा. उसके बाद हमने निर्णय लिया कि 2000 एकड़ ज़मीन पर हम इस घोल का छिड़काव करेंगे. हमने फैसला किया कि हम सेंट्रलाइज्ड तरीके से इस घोल का निर्माण करेंगे और दिल्ली में मुफ्त में छिड़काव करेंगे. हमने खड़खड़ी नाहर नजफगढ़ में सेंटर बनाया और कृषि विभाग के अधिकारियों और पूसा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के साथ और उनकी देखरेख में घोल बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई. 3 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने पूसा इंस्टीट्यूट से 2000 पाउच लेने का आर्डर किया.
5 अक्टूबर को यह प्रक्रिया शुरू हुई थी और 11 अक्टूबर तक 10000 लीटर बायो डिकंपोजर घोल बनकर तैयार हुआ. इसके बाद फिर 20000 लीटर घोल का निर्माण किया गया. 13 अक्टूबर को हिरनकी गांव नरेला में छिड़काव की शुरूआत हुई थी. इसके बाद जहां-जहां पर नॉन- बासमती वाले खेत हैं. वहां इसका छिड़काव किया गया. किसानों ने जो फॉर्म भरे उसका सारा रिकॉर्ड दिल्ली सरकार के पास है. हम हवा में तीर नहीं चला रहे हैं.
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