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दिल्ली में सर्दियों के दौरान बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने 10 अक्टूबर को द्वारका सेक्टर-19 में स्वचालित एंटी-स्मॉग मिस्टिंग सिस्टम का उद्घाटन किया. इस अत्याधुनिक प्रणाली का उद्देश्य हवा में मौजूद धूल और सूक्ष्म प्रदूषकों को नियंत्रित कर वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है.
लगभग 7 किलोमीटर लंबे मार्ग पर 166 बिजली के खंभों पर यह प्रणाली स्थापित की गई है, जिनमें प्रत्येक पर 30 उच्च-दबाव वाले मिस्टिंग नोज़ल्स लगे हैं. ये नोज़ल्स 5 मीटर (लगभग 15 फीट) की ऊंचाई पर लगाए गए हैं ताकि धुंध के कण हवा में ऊपर तक फैलें और अधिक प्रभावी ढंग से धूल और प्रदूषक तत्वों को नीचे बैठा सकें. इन नोज़ल्स से आरओ ट्रीटेड पानी 2.8 लीटर प्रति घंटे की दर से छोड़ा जाएगा.
उपराज्यपाल ने कहा कि हर सर्दी में दिल्ली गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझती है. यह प्रणाली उसी दिशा में एक ठोस कदम है. सरकार अपनी ओर से कई प्रयास कर रही है, लेकिन जनसहभागिता के बिना यह संभव नहीं है। छोटे-छोटे कदम भी शहर की वायु गुणवत्ता पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि तकनीकी समाधान और लोगों के व्यवहार में बदलाव—दोनों मिलकर दिल्ली को स्वच्छ हवा दिला सकते हैं, विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों जैसे संवेदनशील समूहों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है.
डीडीए की ओर से बनाए गए तीन पंप हाउस इस प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए जल आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे। पानी को शुद्ध करने के लिए एक उन्नत आरओ सिस्टम लगाया गया है जो टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड्स (TDS) को 2000 से घटाकर 50 तक कर देता है. आरओ प्रक्रिया से निकलने वाला अपशिष्ट जल बागवानी और सिंचाई कार्यों में उपयोग किया जाएगा ताकि जल का अधिकतम उपयोग और न्यूनतम बर्बादी सुनिश्चित हो सके.
इस प्रणाली के कई लाभ होंगे- हवा में छोड़ा गया मिस्ट न केवल प्रदूषक कणों को नीचे बैठाएगा, बल्कि सड़कों की धूल को भी नियंत्रित करेगा और पौधों पर जमने वाली मिट्टी को रोकने में मदद करेगा.
दिल्ली में हर साल सर्दियों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 तक पहुंच जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक स्तर है. वाहनों का उत्सर्जन, निर्माण कार्यों की धूल, और आसपास के राज्यों में पराली जलाना इस स्थिति को और गंभीर बना देते हैं.
द्वारका का यह एंटी-स्मॉग मिस्टिंग सिस्टम आने वाले समय में पूरे शहर के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगा. डीडीए ने भरोसा जताया है कि वह आगे भी ऐसे तकनीक-आधारित और सतत उपायों को लागू करेगा ताकि दिल्ली को स्वच्छ और स्वस्थ बनाया जा सके.