दिल्ली अग्निकांड: मृतक अली के दोस्त मोनू ने कहा, मेरे भाई जैसा था, धर्म हमारे बीच कभी नहीं आया
दिल्ली के अनाज मंडी बाजार में लगी भीषण में आग में फंसे मुशर्रफ अली की अपने दोस्त से आखिरी बार फोन पर की गई बातचीत की रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद कई लोगों की आंखों में आंसू आ गए.
दिल्ली:
दिल्ली के अनाज मंडी बाजार में लगी भीषण में आग में फंसे मुशर्रफ अली की अपने दोस्त से आखिरी बार फोन पर की गई बातचीत की रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद कई लोगों की आंखों में आंसू आ गए. अग्निकांड में जान गवांने वाले अली के बचपन के 33 वर्षीय दोस्त मोनू अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि उनकी अली के साथ आखिरी बातचीत ‘संयोग से रिकॉर्ड’ हो गई. फोन पर की गई बातचीत को बाद में टीवी चैनलों ने प्रसारित किया था और इसे सोशल मीडिया पर साझा किया गया है.
अली की जहरीले धुएं के कारण मौत हो गई. उन्होंने अग्रवाल से उनकी मौत के बाद उनके परिवार बुजुर्ग मां, पत्नी और आठ साल से कम उम्र के दो बच्चों का ध्यान रखने को कहा था. सोमवार को अग्रवाल, अली की मां के साथ उनका शव लेने के लिए दिल्ली आए हैं. पूछा गया कि उन्होंने क्या फोन कॉल जानबूझकर रिकॉर्ड की थी तो अग्रवाल ने से कहा, ‘ मैंने हमारी बातचीत कभी भी रिकॉर्ड नहीं की. यह संयोग से हो गई थी. शायद मेरी उंगली रिकॉर्डिंग बटन से टच हो गई होगी.’
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उन्होंने कहा, ‘मुझे खुद इसकी जानकारी फोन कॉल कट होने के बाद आए नोटिफिकेशन से मिली.’ उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के रहने वाले अली और अग्रवाल अच्छे और बुरे वक्त के साथी थे.
अग्रवाल ने बताया, ‘हमारे घर एक ही गली में हैं. हम घंटों बात करते थे. हम हर बात पर चर्चा करते थे, हमारे बीच में कुछ भी छुपा हुआ नहीं था. हम सुख-दुख में एक साथ रहते थे.'
उन्होंने कहा, ‘मुशर्रफ मेरे लिए भाई से बढ़कर था. मजहब हमारे बीच कभी नहीं आया. ईद पर, उनका परिवार हमारी मेहमान नवाजी करता था और दिवाली पर मैं.’ उन्होंने अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए कहा, ‘उनके बच्चे अब मेरे बच्चे हैं. मैंने निजी कारणों से शादी नहीं की। भगवान यह जानता था कि इन बच्चों को मेरी जरूरत है, शायद इसलिए भगवान ने मुझे अविवाहित रखा.'
अग्रवाल ने कहा कि वह जब आठ साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था. इसलिए वह बिना बाप की औलाद का दर्द समझते हैं. उन्होंने कहा, ‘अली अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे. उनके पिता का निधन छह महीने पहले ही हुआ था... वह छुट्टी पर थे और शुक्रवार दिल्ली आए थे.'
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अग्रवाल ने बताया, ‘मेरा छोटा सा कारोबार है. मुझे धन नहीं चाहिए. मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वह मुझे बस इतना दे कि दोनों परिवारों का पेट भर जाए. मैं किसी भी तरह से काम चला लूंगा. मैं आखिरी सांस तक, मेरे बस में जो भी होगा, करूंगा.' बिजनौर के नगीना में उनकी बर्तनों की दुकान है.
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