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दिल्ली आबकारी नीति घोटाला: कौन हैं गिरफ्तार किए गए बोइनपल्ली अभिषेक राव

हैदराबाद के व्यवसायी बोइनपल्ली अभिषेक राव, जिन्हें दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया है, कथित तौर पर राष्ट्रीय राजधानी के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत कई कंपनियों से जुड़े हैं. वह अनूस इलेक्ट्रोलिसिस एंड ओबेसिटी प्राइवेट लिमिटेड, अनूस हेल्थ एंड वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड, रॉबिन डिस्ट्रीब्यूशन एलएलपी, अगस्ती वेंचर्स, एसएस माइन्स एंड मिनरल्स, मास्टर सैंड एलएलपी, नियोवर्स रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड, जीउस नेटवकिर्ंग प्राइवेट लिमिटेड और वैल्यूकेयर एस्थेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं.

Updated on: 10 Oct 2022, 04:14 PM

new delhi:

हैदराबाद के व्यवसायी बोइनपल्ली अभिषेक राव, जिन्हें दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया है, कथित तौर पर राष्ट्रीय राजधानी के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत कई कंपनियों से जुड़े हैं. वह अनूस इलेक्ट्रोलिसिस एंड ओबेसिटी प्राइवेट लिमिटेड, अनूस हेल्थ एंड वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड, रॉबिन डिस्ट्रीब्यूशन एलएलपी, अगस्ती वेंचर्स, एसएस माइन्स एंड मिनरल्स, मास्टर सैंड एलएलपी, नियोवर्स रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड, जीउस नेटवकिर्ंग प्राइवेट लिमिटेड और वैल्यूकेयर एस्थेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं.

तेलंगाना में सत्तारूढ़ दल के एक प्रमुख नेता के करीबी माने जाने वाले वह हैदराबाद के पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया है.

राव को कथित तौर पर एक दक्षिण लॉबी के रूप में काम करते हुए पाया गया था. जांच एजेंसी को संदेह है कि उसने गुटबंदी के जरिए अनियमितताएं की हैं.

राव आबकारी नीति में गिरफ्तार होने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. सीबीआई ने इससे पहले इवेंट कंपनी ओनली मच लाउडर के पूर्व सीईओ विजय नायर को गिरफ्तार किया था.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इंडो स्पिरिट के शराब कारोबारी समीर महेंद्रू को भी गिरफ्तार किया है.

कहा जाता है कि उसके हैदराबाद निवासी अरुण रामचंद्र पिल्लई और मामले में सीबीआई द्वारा बुक किए गए व्यक्तियों में से एक के साथ व्यापारिक संबंध थे.

राव की गिरफ्तारी एक मीडिया हाउस के कार्यालय सहित हैदराबाद में विभिन्न स्थानों पर सीबीआई और ईडी द्वारा कई दौर की छापेमारी के बाद हुई. कथित तौर पर इस मामले में सीबीआई ने उनसे दो बार पूछताछ भी की थी.

सीबीआई की जांच के अनुसार, अरुण समीर महेंद्रू से विजय नायडू के माध्यम से आरोपी लोक सेवकों को आगे भेजने के लिए पैसे इकट्ठा करता था.

शराब लाइसेंस धारकों ने कथित तौर पर अनियमितताओं में शामिल लोक सेवकों को फंड निकालने के लिए खुदरा विक्रेताओं को बिल जारी किए. माना जाता है कि यहीं पर हैदराबाद की कुछ कंपनियों ने अवैध लेनदेन में मदद की थी.

सीबीआई से आगे की पूछताछ से मामले में कुछ अन्य संदिग्धों की भूमिका का पता चलने की संभावना है. माना जाता है कि इस मामले में छह से आठ व्यवसायी और तेलुगु राज्यों के कुछ राजनेता और अधिकारी शामिल हैं.

कहा जाता है कि तेलुगु राज्यों के अधिकारी दिल्ली सरकार में प्रमुख पदों पर हैं.

हैदराबाद के व्यवसायियों ने बताया कि उन्होंने दिल्ली सरकार में राजनेताओं और अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर उस राज्य की शराब नीति को प्रभावित करने के लिए इससे धन-संबंधी लाभ प्राप्त किया.