दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे यमुना क्षेत्र में अवैध रेत खनन पर रोक लगाई जाए. मुख्यमंत्री का कहना है कि इस अवैध खनन के चलते यमुना के तटबंध कमजोर हो रहे हैं, जिससे बाढ़ का खतरा भी पैदा होता है. इस गंभीर मसले पर मुख्यमंत्री ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की चिंताओं से भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को अवगत कराया है.
रेत खनन पर अंकुश लगाने की पहल
यमुना के अवैध खनन पर मुख्यमंत्री ने आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और उन्हें यमुना नदी में हो रहे अवैध खनन की विस्तार से जानकारी दी है. मुख्यमंत्री का यह भी कहना है कि यह अवैध खनन गंभीर पारिस्थितिक (Ecolocical) क्षति का कारण भी बन रहा है, जो भविष्य में यमुना के लिए गंभीर परेशानी का कारण बन सकता है. इसके साथ-साथ यमुना के किनारे रहने वाली आबादी भी इस बदलाव से प्रभावित होगी. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि यह अंतरराज्यीय प्रकृति का मुद्दा है, इसलिए इस अवैध रेत खनन पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकारों के बीच एक समन्वित और संयुक्त प्रर्वतन तंत्र की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री ने यूपी सीएम को जानकारी दी कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी लगातार यमुना में अवैध रेत खनन पर चिंता व्यक्त करता रहा है. NGT की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि ये अवैध खनन कई प्रकार के दुष्प्रभाव ला रहा है, इसलिए इस पर रोक लगाना जरूरी है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के अनुसार NGT इस मसले पर पहले ही तत्काल विनियामक प्रवर्तन (Regulatory Enforcement) और अंतरराज्यीय समन्वय की आवश्यकता पर बल दे चुका है.
सीएम योगी को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया है कि आपके (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) सहयोग से हम इस समस्या का प्रभावी समाधान निकाल सकेंगे. उन्होंने योगी से अनुरोध किया है कि अपने अफसरों को इस मसले पर संयुक्त अंतरराज्यीय सीमांकन (joint inter-state demarcation) के आवश्यक दिशा-निर्देश देने की कृपा करें, ताकि दोनों राज्यों के प्रशासन के समन्वित प्रयासों से क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन की प्रभावी रूप से रक्षा की जा सके.
इस मसले पर दिल्ली के आला अफसरों ने मुख्यमंत्री का सूचित किया है कि वे उत्तर प्रदेश के संबंधित क्षेत्रों के आला अफसरों से लगातार पत्र-व्यवहार कर रहे हैं और उन तक जानकारी पहुंचा रहे हैं कि यमुना नदी के किनारे अवैध रेत खनन का संकट बढ़ रहा है, विशेष रूप से दिल्ली और उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय सीमा के अंतर्गत आने वाले अधिकार क्षेत्र और उसके आसपास. अफसरों के अनुसार पर्यावरण मानदंडों का घोर उल्लंघन करते हुए की जा रही इन गतिविधियों में नदी के प्राकृतिक प्रवाह को मोड़ना और नदी के तल में हेरफेर करना शामिल है, जिससे अपूरणीय पारिस्थितिक क्षति हो रही है, जो जान-माल की हानि का गंभीर कारण बन सकती है. अफसरों का कहना है कि इसके चलते दोनों राज्यों के बीच अधिकार क्षेत्र संबंधी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है.