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Delhi Blast: (x)
दिल्ली ब्लास्ट और अल-फलाह यूनिवर्सिटी इन दिनों देश भर में चर्चा का विषय है. जांच एजेंसियां लगातार मामले की जांच कर रहीं हैं. हर दिन कोई न कोई खुलासे हो रहे हैं. ऐसे में आइये जानते हैं दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े पांच बड़े अपडेट्स…
अल-फलाह के पास मदरसा
मामले की जांच कर रही टीम को पता चला कि आतंक फैलाने वाले आरोपी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के पास एक मदरसा चलाते थे. स्थानीय निवासियों ने इसकी सूचना दी. ये मदरसा यूनिवर्सिटी से 700 मीटर दूर है. इसे डॉ. मुजम्मिल और मौलवी मोहम्मद इश्तियाक चला रहे थे. पुलिस ने दोनों को आतंकी मॉड्यूल से कथित रूप से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया है. 14 लाख रुपये में एक साल पहले मदरसे के लिए जमीन खरीदी गई थी. इसमें 22 बच्चे पढ़ते थे. हालांकि, ये अब बंद हो चुका है. स्थानीयों को संंदेह है कि इसका इस्तेमाल आतंक फैलने के लिए किया जाता था.
उमर ने छोटे भाई को दिया अपना फोन
इस दौरान, उमर नबी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें वह सुसाइड बॉम्बिंग को शहादत अभियान बता रहा था. मामले की जांच कर रहे जांचकर्ताओं ने बताया कि ये वीडियो उमर के फोन से ही मिला है, उसने अपने छोट भाई को ये फोन सौंपा था. जम्मू-कश्मीर पुलिस उमर के छोटे और बड़े भाईयों को गिरफ्तार कर चुकी है. पूछताछ में उसने बताया कि उमर के कहने पर ही उसने ये फोन नाले में फेंका था.
मुंबई से जुड़े दिल्ली ब्लास्ट के तार
दिल्ली ब्लास्ट के तार अब मुंबई से जुड़ गए हैं. मुंबई की अलग-अलग जगहों पर पुलिस ने छापेमारी की और तीन लोगों को हिरासत में लिया. तीनों लोग उमर के साथ एक खास मोबाइल ऐप से जुड़े हुए थे. तीनों को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया है. खास बात है कि तीनों अच्छे और पढ़े-लिखे परिवार से हैं. जांच एजेंसी अब इनकी संल्पित्ता की तलाश कर रही है.
दिल्ली ब्लास्ट का बांग्लादेश कनेक्शन
दिल्ली ब्लास्ट मामले के तार अब बांग्लादेश से भी जुड़ रहे हैं. लाल किला के पास हुए धमाके के मामले में जांच एजेंसी ने एक बांग्लादेशी नागरिक इख्तियार को गिरफ्तार किया है. इख्तियार बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) से जुड़ा बताया जा रहा है. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि इख्तियार ने ही धमाके में इस्तेमाल हुए विस्फोटक को दिल्ली तक पहुंचाया था.
यूनिवर्सिटी की फंडिंग की जांच कर रही है एजेंसी
अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन और फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. जांच एजेंसी को पता चला कि विश्वविद्यालय ने फंडिंग के जरिए 415 करोड़ रुपये जुटाए थे. इस रकम को एजेंसी ने प्रोसीड्स ऑफ क्राइम माना है. एजेंसी का कहना है कि जावेद के बाद और भी दागी संपत्ति रकम हो सकती है. इसका पता लगाना जरूरी है. लंबी जांच के बाद ईडी ने मंगलवार को उसे गिरफ्तार किया था.
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