दिल्ली में 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है विधानसभा सत्र, सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष

Delhi Assembly Winter Session: दिल्ली में विधानसभा सत्र की 29 नवंबर से शुरुआत होने वाली है. इसमें नेता प्रतिपक्ष ने प्रश्नकाल रखने की मांग की है. ये सत्र 29 नवंबर से 3 दिसंबर के बीच जारी रहेगा.

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Yashodhan.Sharma
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दिल्ली में विधानसभा सत्र की 29 नवंबर से शुरुआत होने वाली है. ये सत्र 29 नवंबर से 3 दिसंबर के बीच जारी रहेगा. इसमें नेता प्रतिपक्ष ने प्रश्नकाल रखने की मांग की है. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने विधानसभा के 'शीतकालीन सत्र' में प्रश्नकाल नहीं रखे जाने पर आपत्ति जताई है.

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विपक्ष का कहना है कि इस साल किसी भी सत्र में प्रश्नकाल नहीं रखा गया. ऐसा करना विधानसभा सदस्यों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने जैसा है. दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले यह सरकार का आखिरी विधानसभा सत्र होगा, जिसमें खूब हंगामा होने का आसार है. सदन में मंत्रियों के इस्तीफे, प्रदूषण, दिल्ली की मौजूदा हालात को लेकर चर्चा होगी. सत्र में मौजूदा सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 का संशोधित बजट भी पेश किया जाएगा. 

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संशोधित बजट किया जाएगा पेश

दिल्ली की मौजूदा सरकार के इस आखिरी विधानसभा सत्र में सरकार जहां अपनी उपलब्धियों को लेकर सदन में चर्चा करेगी. वहीं, दिल्ली में प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार की जिम्मेदारियों को लेकर घेरने की तैयारी में है. सदन में अधिकारियों द्वारा कामकाज को लेकर किए जा रहे हस्तक्षेप पर भी चर्चा की जाएगी. साथ ही संशोधित बजट 2024-25 भी पेश किया जाएगा. जिन योजनाओं के लिए बजट की कमी है उसे आवंटित करने के साथ रुकी योजनाओं के बजट आवंटन को भी संशोधित किया जाएगा.

सरकार को घेरेगा विपक्ष

दूसरी ओर इस शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा के आगामी 29 नवम्बर से शुरू होने जा रहे 'शीतकालीन सत्र' में प्रश्नकाल रखने की मांग उठाई है. गुप्ता ने विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को पत्र लिखकर कहा है कि इस साल जितने भी सत्र रखे गए, उनमें से किसी एक में भी 'प्रश्नकाल' का प्रावधान नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में विधानसभा के सत्रों में 'प्रश्नकाल' का न रखना जनप्रतिनिधियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. प्रश्नकाल का प्रावधान किया जाना चाहिए, जिससे जनप्रतिनिधि के रूप में सदन में उपस्थित सभी विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन के समक्ष उठाने का मौका मिल सकेगा.

 

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