Delhi: भारत की राजधानी दिल्ली ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा दिया है। अब दिल्ली विधानसभा देश की पहली ऐसी विधानसभा बनने जा रही है जो पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित होगी। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि शासन तंत्र में हरित सोच को मुख्यधारा में लाने का भी उदाहरण है। इस परियोजना की आधारशिला हाल ही में एक विशेष समारोह में रखी गई, जिसमें उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता मौजूद रहे।
500 किलोवाट सौर संयंत्र से होगी शुरुआत
दिल्ली विधानसभा भवन की छत पर 500 किलोवाट क्षमता वाला सोलर पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जो विधानसभा की बिजली की अधिकांश जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा। यह परियोजना आधुनिक तकनीक से सुसज्जित है और इसका उद्देश्य सिर्फ बिजली उत्पादन नहीं, बल्कि एक नई सोच को अपनाना है।
उपराज्यपाल का दृष्टिकोण
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इस अवसर को 'हरित क्रांति की नींव' बताया। उन्होंने कहा, “यह पहल न केवल स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह यह दिखाती है कि कैसे शासन के उच्चतम संस्थान भी पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार हो सकते हैं।” उन्होंने यह भी ऐलान किया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण विधानसभा भवन को ‘हेरिटेज बिल्डिंग’ का दर्जा दिलाने की दिशा में काम करेगा, जिससे इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान और मजबूत होगी।
विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की भागीदारी
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस परियोजना को “गवर्नेंस की ग्रीन रीब्रांडिंग” का नाम दिया। उनके अनुसार, यह पहल हर महीने ₹15 लाख की बिजली की बचत करेगी और दीर्घकालिक रूप से विधानसभा को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाएगी। साथ ही, अतिरिक्त ऊर्जा को ग्रिड में भेजकर राजस्व अर्जन का मार्ग भी खुल सकता है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस पहल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘पीएम-सूर्य घर योजना’ से जोड़ते हुए बताया कि इससे आम जनता को भी सौर ऊर्जा की ओर आकर्षित किया जा सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली सरकार रूफटॉप सोलर लगाने वालों को ₹78,000 तक की सब्सिडी दे रही है, जिससे आम नागरिक भी इस हरित क्रांति का हिस्सा बन सकें।
प्रेरणा बनेगा दिल्ली मॉडल
कार्यक्रम के समापन पर विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि दिल्ली विधानसभा का यह कदम देश के अन्य राज्यों को भी प्रेरणा देगा। यह परियोजना केवल ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जवाबदेह, पर्यावरण-संवेदनशील और दीर्घकालिक विकास की सोच का प्रमाण है।
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