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Delhi: दिल्ली में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे जुड़े खतरे को देखते हुए अब सरकार ने इस पर गंभीरता से कदम उठाना शुरू कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश के बाद दिल्ली सरकार ने एनीमल वेलफेयर बोर्ड की बैठक बुलाई, जिसमें राजधानी में आवारा जानवरों से निपटने के लिए एक व्यापक एक्शन प्लान पेश किया गया. बैठक में एक अहम फैसला लिया गया. इसके तहत दिल्ली की सड़कों पर घूम रहे करीब 10 लाख आवारा कुत्तों को माइक्रोचिप लगाई जाएगी.
इस फैसले से हर कुत्ते की निगरानी संभव करने का मकसद है. साथ ही उनका पूरा रिकॉर्ड एक केंद्रीकृत डिजिटल सिस्टम में मौजूद रहेगा. माइक्रोचिपिंग से नसबंदी, टीकाकरण और स्थान की जानकारी आसानी से ट्रैक की जा सकेगी.
पालतू कुत्तों का पंजीकरण अनिवार्य
सरकार अब सिर्फ आवारा कुत्तों ही नहीं, बल्कि पालतू कुत्तों पर भी निगरानी रखेगी. इसके तहत सभी पालतू कुत्तों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा. इससे उन मामलों पर भी नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी जहां पालतू जानवरों के कारण पड़ोसियों में विवाद होता है या जिम्मेदारियों से बचा जाता है.
टीकाकरण प्रक्रिया का डिजिटलीकरण
एक और अहम निर्णय यह लिया गया कि जानवरों के टीकाकरण कार्यक्रम को पूरी तरह डिजिटलीकृत किया जाएगा. अब हर कुत्ते का टीकाकरण कब हुआ, कौन सी वैक्सीन दी गई, अगली तारीख कब है इन सभी जानकारियों को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड किया जाएगा. इससे पशु चिकित्सा सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसकी पृष्ठभूमि
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और मानव पर हमलों को लेकर गंभीर चिंता जताई थी. कोर्ट ने पुराने आदेश को पलटते हुए कहा था कि आवारा कुत्तों को शेल्टर में रखने की बजाय नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उनके इलाके में वापस छोड़ा जाए. साथ ही राज्यों को इस मुद्दे पर व्यवस्थित एक्शन प्लान बनाने का निर्देश भी दिया गया था.
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