Delhi AIIMS: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रूमेटोलॉजी विभाग में एक अत्याधुनिक वार्ड की स्थापना की गई है, जो भारत में अनूठा है. इस वार्ड में 20 बेड उपलब्ध कराए गए हैं. यह वार्ड आर्थराइटिस, रूमेटाइड आर्थराइटिस, जोड़ों और मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं के मरीजों के इलाज के लिए समर्पित रहेगा. एम्स में प्रतिदिन सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिनमें से कुछ को भर्ती करने की जरूरत होती है. पहले इन मरीजों को अन्य वार्ड में रखा जाता था, लेकिन अब उन्हें इस विशेष वार्ड में भर्ती किया जाएगा.
एक विशेष चिकित्सा शाखा रूमेटोलॉजी
बता दें कि रूमेटोलॉजी कई जटिल रोगों के निदान और उपचार के लिए समर्पित चिकित्सा की एक विशेष शाखा है. इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले चिकित्सकों को रूमेटोलॉजिस्ट कहा जाता है, जो मुख्य रूप से मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम, कोमल ऊतकों, ऑटोइम्यून रोगों, वास्कुलिटाइड्स और विरासत में मिले संयोजी ऊतक विकारों से जुड़ी समस्याओं का इलाज करते हैं.
यह विकार अधिकतर 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों में देखने को मिलता है. लेकिन इस तरह की बीमारियों का शिकार किसी भी उम्र के लोग होते हैं. इससे पहले, मरीजों का इलाज केवल डे केयर में किया जाता था, लेकिन अब लंबे समय तक भर्ती कर उनका इलाज संभव होगा. इससे न केवल मरीजों को लाभ होगा, बल्कि इस क्षेत्र में अनुसंधान और मेडिकल शिक्षा को भी नई दिशा मिलेगी.
एचओडी डॉ. उमा कुमार ने दी ये जानकारी
रूमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. उमा कुमार ने बताया कि अब मरीजों को विभागीय वार्ड में ही भर्ती किया जाएगा, जिससे उन्हें विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में बेहतर इलाज मिल सकेगा. यह वार्ड शुक्रवार से रोगियों के लिए चालू कर दिया गया और इसके लिए आवश्यक चिकित्सा कर्मियों की तैनाती की गई है.
क्या बोले एम्स के एडिशनल डायरेक्टर?
एम्स के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. करण सिंह ने न्यूज़ नेशन से बात करते हुए कहा कि उनकी कोशिश है कि रूमेटोलॉजी से जुड़े सभी मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा मिले. इस मौके पर डिपार्टमेंट हेड डॉ. उमा भी मौजूद थीं. उन्होंने बताया कि रूमेटोलॉजी वार्ड में विशिष्ट मरीजों के लिए आइसोलेशन बेड भी बनाए गए हैं, जिससे गहन देखभाल संभव हो सके.
आधुनिक और सुविधाजनक चिकित्सा सेवाएं
यह नया वार्ड अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित है, जिससे मरीजों को बेहतरीन इलाज उपलब्ध हो सकेगा. इसके अतिरिक्त, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और ब्लड टेस्ट जैसी आवश्यक सुविधाएं भी वार्ड में ही मुहैया कराई गई हैं.
गठिया का व्यापक असर
डॉ. उमा कुमार के अनुसार, गठिया सिर्फ जोड़ों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह आंखों, किडनी, फेफड़ों और आंतों को भी प्रभावित कर सकता है. कुछ गंभीर मामलों में यह हृदय संबंधी समस्याएं, आंतों में गैंग्रीन और अत्यधिक रक्तस्राव जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकता है, जिससे मरीजों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कर इलाज की आवश्यकता होती है.
रूमेटोलॉजी विभाग में होने वाले इलाज
एम्स का रूमेटोलॉजी विभाग हड्डियों और मांसपेशियों से जुड़ी कई बीमारियों का इलाज करता है. इसमें ल्यूपस, स्पॉन्डिलाइटिस, सोरायसिस आर्थराइटिस, एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस, गाउट, ऑस्टियोपोरोसिस और अन्य ऑटोइम्यून रोगों का उपचार किया जाता है. यह वार्ड देशभर से आने वाले मरीजों के लिए समर्पित रहेगा. इस नई सुविधा से मरीजों को उन्नत चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी और रूमेटोलॉजी से संबंधित बीमारियों के इलाज में और अधिक दक्षता आएगी.