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बेटा पैदा नहीं करने पर शख्स ने पत्नी को दिया तीन तलाक, गुजारा भत्ता देने से भी किया इंकार

राजधानी दिल्ली से तीन तलाक (Triple Talaq) का मामला सामने आया है. यहां एक महिला को उसके पति ने सिर्फ इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि उसने बेटे को जन्म नहीं दिया. इतना ही नहीं शख्स ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने से भी इंकार कर दिया.

Updated on: 19 Jan 2021, 09:25 AM

नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली से तीन तलाक (Triple Talaq) का मामला सामने आया है. यहां एक महिला को उसके पति ने सिर्फ इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि उसने बेटे को जन्म नहीं दिया. इतना ही नहीं शख्स ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने से भी इंकार कर दिया. पीड़ित महिला ने इंसाफ के लिए अपनी दो बेटियों के साथ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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ये पूरा मामला साल 2020 जून महीने की है. हुमा हाशिम नाम की महिला को उसके पति ने बेटा पैदा नहीं करने पर तीन तलाक दे दिया था. इसके बाद जब पीड़िता ने गुजारा भत्ता मांगा तो पति ने इसे देने से भी मना कर दिया. इसके बाद हुमा ने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ और न्याय के लिए कोर्ट जाने का फैसला किया है. बता दें कि इस दंपति की अभी दो बेटियां हैं, जिसकी उम्र 20 और 18 साल है.

हुमा हाशिम ने बताया कि उनके पति हमेशा से एक बेटा चाहते थे और इसके लिए मुझे कई बार गर्भपात के गुजरना पड़ा. उन्होंने एक दिन  मेरी को भी मारा और जब मैनें उसे बचाने की कोशिश की तो मुझे भी लातों से धक्का मारा और मारपीट की. इसके बाद उन्होंने मुझे तीन तलाक दे दिया. हमने इसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवाई लेकिन पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया. मैंने गुजारा भत्ता भी मांगा लेकिन मेरे पति ने कुछ भी देने से मना कर दिया.

बता दें कि तीन तलाक कानून को अस्तित्व में आए एक अगस्त को एक साल हो गया हैं. ऐसे में पिछले एक साल के दौरान 'तीन तलाक' या 'तिलाके बिद्दत' की घटनाओं में 82 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है, और जहां कही ऐसी घटना हुई. वहां कानून ने अपना काम किया है. 

गौरतलब है कि दुनिया के कई प्रमुख इस्लामी देशों ने बहुत पहले ही तीन तलाक को गैर-कानूनी और गैर-इस्लामी घोषित कर खत्म कर दिया है. मिस्र दुनिया का पहला इस्लामी देश है, जिसने 1929 में तीन तलाक को खत्म किया, उसे गैर कानूनी एवं दंडनीय अपराध बनाया. 1929 में सूडान ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया.