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ISRO की मदद से DDA करेगा अवैध कब्जों की समस्या का निराकरण

सभी खाली पड़ी भूमि को जिओ-रेफरेंस किया जा रहा है. पहले चरण में डीडीए ने इसके लिए 4000 से अधिक भूखंडों का चयन किया है.

Updated on: 25 Apr 2022, 08:46 AM

highlights

  • डीडीएम इसरो की मदद से आसमान से जमीन पर रखेगा नजर
  • सेटेलाइट की मदद से अवैध कब्जों की करी जाएगी पहचान
  • फिर स्पेशल टास्क फोर्स से जमीन को कराया जाएगा मुक्त

नई दिल्ली:

दिल्ली में अवैध बस्तियों समेत सरकारी जमीन पर अतिक्रमण एवं अवैध कब्जों की भरमार है. इस समस्या से छुटकारा पाने और अवैध कब्जों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ एक समझौता किया है. इसके तहत डीडीएम अब इसरो की मदद से अपनी खाली जमीन की रखवाली करेगा. इसके साथ ही जहां-जहां अवैध कब्जा या अतिक्रमण है, उसे चिन्हित कर मुक्त कराने की प्रक्रिया प्रारंभ करेगा. इस दिशा में काम शुरू हो गया है. गौरतलब है कि सिर्फ डीडीए के ही करीब 400 भूखंडों पर झुग्गी बस्तियां बसी हैं. इसके अलावा अधिकतर अनधिकृत कालोनियां भी सरकारी जमीन पर आबाद हैं.

डीडीए ने एलआईएमएस भी शुरू किया
जानकारी के मुताबिक भूमि रिकार्डों के उचित प्रबंधन के लिए डीडीए ने भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (एलआईएमएस) को चालू कर दिया है. साथ ही सभी खाली पड़ी भूमि को जिओ-रेफरेंस किया जा रहा है. पहले चरण में डीडीए ने इसके लिए 4000 से अधिक भूखंडों का चयन किया है. इसके अलावा अतिक्रमण की निगरानी के लिए समय-समय पर सेटेलाइट फोटो कराने सहित अन्य तकनीकी सहायता भी ली लाएगी. दिल्ली के नियोजित क्षेत्रों को कवर करते हुए डीडीए ने लगभग 1500 कालोनियों के लेआउट प्लान भी डिजिटाइज कर दिए हैं. इन सभी के नक्शे सेटेलाइट इमेजों की मदद से ही तैयार किए गए हैं. अब इनकी मदद से जीआईएस प्लेटफार्म पर प्रत्येक भूखंड एवं कालोनी के संबंध में विशेषताओं, उसके आयाम, भूमि उपयोग आदि का सत्यापन किया जा सकता है.

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आम शिकायतों के निराकरण पर जोर
डीडीए के सूत्रों के मुताबिक जन शिकायतों के निवारण के लिए मोबाइल एप्प और वेब सक्षम एप्प की मदद ली जा रही है. इसे केंद्र सरकार की अन्य केंद्रीकृत प्रणालियों मसलन सेंट्रलाइज्ड पब्लिक ग्रीवांस रेड्रेस एंड मानिटरिंग सिस्टम (सीपीजीआरएम) और एलजी लिसनिंग पोस्ट के साथ भी जल्द ही एकीकृत कर दिया जाएगा. सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण रोकने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स की शिकायत निवारण व्यवस्था भी शिकायत निवारण प्रणाली की ही एक अलग खासियत होगी. बताते हैं कि बीते दो सालों में एसटीएफ के जरिये 132049 व अन्य शिकायतों के 60187 मामलों का ऑनलाइन समाधान किया जा चुका है.