पर्यावरण सुरक्षा और विकास के बीच संतुलन के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा न्यायालय
न्यायालय ने मुंबई की आरे कॉलोनी और तटीय सड़क परियोजना से जुड़े हालिया मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे मुद्दे बार बार अदालतों के सामने आ रहे हैं और उचित होगा कि उनसे निपटने के लिए कुछ मानदंड तय किए जाएं
दिल्ली:
विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करने के प्रयास में उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह ऐसे टकरावों से निपटने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी करेगा. इसके साथ ही न्यायालय ने वनों की कटाई और जलाशयों की घटती संख्या पर चिंता जतायी. न्यायालय ने मुंबई की आरे कॉलोनी और तटीय सड़क परियोजना से जुड़े हालिया मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे मुद्दे बार बार अदालतों के सामने आ रहे हैं और उचित होगा कि उनसे निपटने के लिए कुछ मानदंड तय किए जाएं.
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प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि वनों की कटाई इतनी तेजी से हो रही है कि हमें इस संबंध में पता चलने के पहले ही सब खत्म हो जाएगा. हरित कवर को महत्व देने और संरक्षित करने की जरूरत है. समस्या यह है कि कोई भी किसी विकल्प पर विचार नहीं करना चाहता है. पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं. प्रधान न्यायाधीश ने नागपुर में बारहमासी जलाशयों की बात करते हुए कहा कि वे अब कंक्रीट और मलबे से ढके हुए हैं. उन्होंने कहा, "हम जानते हैं, आपके पास जल संरक्षण के नए साधन विकसित करने का दिमाग नहीं है.
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लेकिन तब आप मौजूदा जलाशयों को क्यों नष्ट कर रहे हैं?" न्यायालय कलकत्ता उच्च न्यायालय के 31 अगस्त 2018 के आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर)की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. उस आदेश से राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का मार्ग प्रशस्त किया और इस शर्त पर 350 से अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गयी कि प्रत्येक पेड़ के लिए पांच पेड़ लगाए जाएंगे. यह परियोजना जेसोर रोड के चौड़ीकरण से संबंधित है जो शहर को भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेट्रापोल से जोड़ती है.
एपीडीआर की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि वैज्ञानिकों ने अपने हालिया अध्ययन में कहा है कि वनों की कटाई के कारण अगले 50 वर्षों में जलवायु की स्थिति अत्यधिक खराब हो जाएगी. पीठ ने कहा, "यह विश्वसनीय है. पूरी तरह से विश्वसनीय है.’’ पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और भूषण से पर्यावरण संरक्षण और विकास के मुद्दों से निपटने के लिए मानदंड तैयार करने में सुझाव मांगे. सिंघवी पश्चिम बंगाल की ओर से पेश हुए थे.
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