logo-image

यौन शोषण मामले में पत्रकार तरुण तेजपाल को बड़ी राहत, गोवा की अदालत ने किया बरी

अदालत ने सहयोगी से रेप केस में कोई सबूत नहीं मिलने पर तरुण तेजपाल को बरी कर दिया है. बता दें कि गोवा के जिला एवं सत्र न्यायालय मापुसा में इस मामले पर कल यानी गुरुवार को फैसला सुनाया जाना था लेकिन कोर्ट में बिजली नहीं होने के कारण फैसले को टाल दिया गया था.

Updated on: 21 May 2021, 11:49 AM

highlights

  • साल 2013 में दर्ज कराया गया था मामला
  • पिछली सुनवाई में सुरक्षित रख लिया गया था फैसला

नई दिल्ली:

तहलका पत्रिका (Tehelka) के पूर्व एडिटर इन चीफ तरुण तेजपाल (Tarun Tejpal) के खिलाफ रेप के आरोपों के मामले में गोवा की एक अदालत आज अपना फैसला सुनाया. अदालत ने सहयोगी से रेप केस में कोई सबूत नहीं मिलने पर तरुण तेजपाल को बरी कर दिया है. बता दें कि गोवा के जिला एवं सत्र न्यायालय मापुसा में इस मामले पर कल यानी गुरुवार को फैसला सुनाया जाना था लेकिन कोर्ट में बिजली नहीं होने के कारण फैसले को टाल दिया गया था. तरुण पर उनकी एक महिला सहयोगी का आरोप है कि साल 2013 में गोवा के एक लग्जरी होटल की लिफ्ट में तरुण तेजपाल ने उनका शारीरिक शोषण किया. इसके बाद तरुण तेजपाल को 30 नवंबर 2013 रेप केस में गिरफ्तार किया गया था.

ये भी पढ़ें- हफ्ते भर से घट रही टीकाकरण की दर, लक्ष्य से कोसों दूर हकीकत

तेजपाल पर एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में अपने सहयोगी के साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था. उन्हें 30 नवंबर 2013 को गोवा क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था. फरवरी 2014 में गोवा अपराध शाखा ने तेजपाल के खिलाफ 2,846 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था. और 1 जुलाई 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी. 

COVID-19 प्रोटोकॉल के कारण किसी भी पत्रकार को अदालत के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी. सरकारी वकील फ्रांसिस्को तवोरा ने मीडिया को बताया कि "उन्हें बरी कर दिया गया है." विशेष न्यायाधीश श्यामा जोशी ने फैसला सुनाया और बरी होने के कारणों का पता समय आने पर चलेगा. बता दें कि 29 सितंबर 2017 को अदालत ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए थे. 

मुकदमा मार्च 2018 में शुरू हुआ, लेकिन कई कारकों के कारण बाधित हो गया, उनमें से एक तेजपाल थे जो मामले में बरी होने की मांग कर रहे थे, जिसके लिए उन्होंने पहले सत्र अदालत, फिर उच्च न्यायालय और बाद में सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया. अगस्त 2019 में, शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका को अस्वीकार कर दिया और आदेश दिया कि मुकदमे को बंद कमरे में आयोजित किया जाए (जनता के लिए खुला नहीं) और छह महीने में पूरा किया जाए.

ये भी पढ़ें- योगी सरकार ने अभिभावकों को दी बड़ी राहत, यूपी में नए शैक्षणिक सत्र में नहीं बढ़ेगी फीस

अंततः 7 दिसंबर, 2020 को परीक्षण शुरू हुआ, और 7 जनवरी, 2021 तक, शारीरिक रूप से और वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तरजीवी की जांच की गई और पूरे एक महीने तक जिरह की गई. अभियोजन पक्ष ने 71 गवाहों का परीक्षण किया और बचाव पक्ष के चार गवाह थे, जिनमें आरोपी और उत्तरजीवी दोनों के परिवार के सदस्य शामिल थे. परीक्षण फरवरी 2021 के अंत में समाप्त हुआ और, दोनों पक्षों द्वारा अंतिम तर्क दिए जाने के बाद, निर्णय सुरक्षित रखा गया था.

अदालत को पहले 27 अप्रैल को फैसला सुनाना था, लेकिन COVID 19 महामारी के मद्देनजर कर्मचारियों की कमी के कारण इसे 12 मई तक के लिए स्थगित कर दिया गया था. चक्रवात तौके के कारण इसे फिर से 19 मई और फिर 21 मई तक के लिए स्थगित कर दिया गया. आज अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सहयोगी से रेप केस में कोई सबूत नहीं मिलने पर तरुण तेजपाल को बरी कर दिया है.