दिल्ली में कोरोना बेलगाम, 24 घंटे में सामने आए 12,651 नए केस
देश में एक बार फिर कोरोना (Corona Virus) तेजी से लोगों को अपनी चेपट में ले रहा है तो वहीं कई राज्यों में आक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है.
नई दिल्ली:
देश में एक बार फिर कोरोना (Corona Virus) तेजी से लोगों को अपनी चेपट में ले रहा है तो वहीं कई राज्यों में आक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. देश की राजधानी में सोमवार को पिछले 24 घंटों में कोरोना के 12,651 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 319 मरीजों की मौत हो गई है. 12 अप्रैल के बाद सबसे कम केस है. 12 अप्रैल को 11,491 कोरोना के नए मामले सामने आए थे. दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट 20% के नीचे आ गई है, जबकि 14 अप्रैल के बाद सबसे कम है. दिल्ली में कोरोना की रिकवरी रेट 92.14 फीसदी है, जबकि एक्टिव मरीज 6.38 प्रतिशत हैं. डेथ रेट 1.47 प्रतिशत और पॉजिटिविटी रेट 19.1 प्रतिशत है.
दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 12,651 नए केस सामने आए हैं. अब तक 13,36,218 कुल मामले हैं. पिछले 24 घंटे में 13,306 मरीज ठीक होकर घर चले गए हैं. अब तक कुल 12,31,297 मरीज ठीक हुए हैं. पिछले 24 घंटे में 319 मौतें हुई हैं. अब तक कोरोना से 19,664 लोगों की अपनी जान गंवाई पड़ चुकी है. दिल्ली में कोरोना के एक्टिव मामले 85,258 हैं. पिछले 24 घंटों में 66,234 लोगों के कोरोना टेस्ट हुए हैं. अब तक 1,78,79,295 लोगों की कोविड जांच हो चुकी है.
दिल की बीमारी का इलाज नहीं होने से मौत का खतरा 5 गुना ज्यादा
अस्पताल में भर्ती हुए कोविड मरीज अक्सर दिल की बीमारियों को नजरअंदाज कर देते हैं. एक ताजा रिसर्च से पता चला है कि दिल की बीमारी का इलाज नहीं होने से कोविड रोगियों के मरने की संभावना लगभग पांच गुना अधिक हो जाती है. अध्ययन में कोविड रोगियों को पहले चरण के इजेक्शन अंश के साथ दिखाया गया है. इसके तहत बाएं वेंट्रिकुलर इजेक्शन अंश का एक माप जब तक कि अधिकतम वेंट्रिकुलर संकुचन का समय 25 प्रतिशत से कम हो, तो मरीज की मौत की आशंका पांच गुना अधिक बढ़ जाती है.
टीम ने यह भी पाया कि समान जोखिम वाले कारकों के समान अनुपात वाले, जिनके पास कोविड नहीं था, उनमें प्रथम-चरण अस्वीकृति अंश के निम्न मान थे. यह पता चलता है कि दिल को नुकसान पुरानी पूर्व-मौजूदा स्थितियों के कारण हो सकता है. इसे कोविड संक्रमण का परिणाम नहीं माना जा सकता है. ये दावा शोधकतार्ओं ने किया है.
लंदन में सेंट थॉमस अस्पताल में कार्डियोवस्कुलर क्लिनिकल फामार्कोलॉजी के प्रोफेसर फिल चिवेंस्की ने कहा, परंपरागत रूप से, हृदय का कार्य इजेक्शन अंश द्वारा मापा जाता है, या हृदय के प्रत्येक संकुचन के साथ बाएं वेंट्रिकल पंप से कितना रक्त निकलता है.
उन्होंने कहा, प्रथम चरण का इजेक्शन अंश, दिल के कार्य का एक नया माप है, जो पारंपरिक इजेक्शन अंश उपायों की तुलना में दिल के शुरूआती, अनिर्धारित क्षति के प्रति अधिक संवेदनशील लगता है. इस रिसर्च के नतीजे पत्रिका हाइपरटेंशन में प्रकाशित हुए हैं.
कार्डियोवस्कुलर रिस्क फैक्टर और बीमारी को कोविड जोखिम कारकों के रूप में मान्यता दी गई है जो कि सार्स-कोव -2 महामारी के शुरूआती दिनों में रोगी के परिणामों पर उच्च नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. शोधकतार्ओं ने परिकल्पना की है कि हृदय की विफलता की पूवार्नुभूति अस्पताल में भर्ती मरीजों में कोविड के अधिक गंभीर मामलों से जुड़ी होगी.
इस मामले में रिसर्च करने वाली टीम ने चीन के वुहान में 129 हॉस्पिटलाइज्ड कोविड रोगियों और दक्षिण लंदन में 251 हॉस्पिटलाइज्ड कोविड रोगियों के लिए फरवरी और मई 2020 के बीच मृत्यु दर का विश्लेषण किया है.
प्रोफेसर फिल चिवेंस्की ने कहा निष्कर्ष बताते हैं कि अगर हम पहले चरण के इजेक्शन अंश इमेजिंग का उपयोग करके पता लगाए गए हृदय को होने वाली बहुत पुरानी क्षति को रोक सकते हैं, तो लोगों को कोविड जैसे श्वसन संक्रमण से बचने की अधिक संभावना होगी. इसके अलावा स्वस्थ जीवन शैली विकल्प, बेहतर उपचार, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के उपचार भी महत्वपूर्ण हैं. ''
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Dharma According To Ramayana: रामायण के अनुसार धर्म क्या है? जानें इसकी खासियत
-
Principles Of Hinduism : क्या हैं हिंदू धर्म के सिद्धांत, 99% हिंदू हैं इससे अनजान
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहूर्त में खरीदें सोना-चांदी, भग्योदय होने में नहीं लगेगा समय
-
Types Of Kaal Sarp Dosh: काल सर्प दोष क्या है? यहां जानें इसके प्रभाव और प्रकार के बारे में