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Congress leader Udit Ra( Photo Credit : (फाइल फोटो))
कांग्रेस नेता और अनुसूचित जाति/जनजाति अधिकार कार्यकर्ता उदित राज ने रविवार को आरोप लगाया कि संविधान खतरे में है और इसे बचाने के लिए एक जन-आंदोलन की जरूरत है, अन्यथा वंचितों के लिए आरक्षण 'केवल कागज पर ही रह जाएगा.' रामलीला मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने निजीकरण, बेरोजगारी और ईवीएम में छेड़छाड़ के मुद्दे भी उठाए.
उन्होंने कहा, 'हमारा संविधान खतरे में है, लोकतंत्र खतरे में है और यदि हमने एक साथ मिलकर प्रयास नहीं किए तो यह आरक्षण भी केवल कागजों पर ही रह जायेगा...और यदि हम संविधान बचाना चाहते हैं, आरक्षण बचाना चाहते हैं तो इस आंदोलन की, जिसकी आज हमने शुरुआत की है, उसे सभी राज्यों और जिलों में लेकर जाने की जरूरत है.'
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अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ (एआईसीएसओ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर पश्चिमी दिल्ली के पूर्व सांसद उदित राज को 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी.
दलित नेता ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'हर साल दो करोड़ नौकरियों के सृजन का वादा किया गया था, लेकिन इसकी जगह करोड़ों की नौकरियां छीन ली गईं.' विभिन्न अन्य दलित संगठनों के समर्थन से एआईसीएसओ ने इस रैली का आयोजन किया जिसमें देश के विभिन्न भागों के लोगों ने भाग लिया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फेसबुक पर हिंदी में किए गए एक पोस्ट में रैली को अपना समर्थन दिया.
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उदित राज ने कहा कि संविधान 'खतरे' में है , जिसके लिए न केवल सरकार जिम्मेदार है, बल्कि लोग भी जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, ‘‘दलित संबंधित मुद्दा भावनात्मक हो या दलित नेताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी होने पर लोग एकत्र हो सकते हैं लेकिन जब दलित अधिकारों या आरक्षण मुद्दों की बात आती है तो लोग बड़ी मुश्किल से एकत्र होते है.’’
उन्होंने कहा कि देश के लोग 'भाग्य भरोसे' रहने वाले और सिर्फ बातों से काम चलाने वाले हैं, उन्हें उम्मीद रहती है कि कोई तारणहार आयेगा और उनकी समस्याओं को दूर करेगा. पूर्व सांसद ने कहा, 'यदि देश के लोग ऐसे होंगे तो उसका संविधान खतरे में रहेगा. हांगकांग को देखिये लाखों लोग बड़ी संख्या में सरकार के खिलाफ विरोध करने को आगे आए.'
उदित राज ने कहा, 'यदि लोग एक साथ आते हैं, तो कोई भी लोगों को आरक्षण के अधिकार से दूर नहीं कर सकता है, कोई भी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र में निजीकरण नहीं ला सकती है.'
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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर, उन्होंने कहा कि अधिकतर विकसित देशों ने इसे छोड़ दिया है और यह समय है कि भारत भी इसका त्याग करे. दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम भी रैली में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि यदि लोग अपने अधिकारों को पाना चाहते हैं तो उन्हें सड़कों पर उतरने की जरूरत है.