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Court notice to Sonia Gandhi: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से जुड़े मतदाता सूची से संबंधित मामले में नई कानूनी कार्रवाई सामने आई है. दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने एक रिवीजन पिटीशन पर सुनवाई करते हुए सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस दोनों को नोटिस जारी किया है. यह पिटीशन अधिवक्ता विकास त्रिपाठी की ओर से दायर की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले ही मतदाता सूची में दर्ज कर दिया गया था.
याचिकाकर्ता का दावा, दस्तावेजों में गंभीर अनियमितताएं
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने अदालत में तर्क दिया कि उपलब्ध रिकॉर्ड कई गंभीर सवाल खड़े करते हैं. उनके अनुसार, दस्तावेजों से लगता है कि सोनिया गांधी के भारतीय नागरिक बनने से पहले ही उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल हुआ, जो चुनाव कानूनों और नागरिकता मानकों के अनुरूप नहीं है.
सोनिया गांधी को राउज एवेन्यू कोर्ट से नोटिस, बिना भारतीय नागरिकता लिए मतदाता सूची में नाम को लेकर नोटिस #SoniaGandhi#RouseAvenueCourt#Delhi#Notice#NewsUpdate#NewsNation | @anuragdixit2005pic.twitter.com/lzrjGwyPHx
— News Nation (@NewsNationTV) December 9, 2025
सेशंस जज विशाल गोगने ने प्रारंभिक दलीलों को सुनने के बाद दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया. राज्य की ओर से उपस्थित अभियोजक ने यह नोटिस स्वीकार कर लिया. इसके साथ ही अदालत ने ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड (TCR) भी तलब करने का निर्देश दिया है, ताकि रिवीजन पिटीशन में उठाए गए सभी बिंदुओं का व्यापक मूल्यांकन किया जा सके.
अगली सुनवाई 6 जनवरी को तय
यह रिवीजन पिटीशन उस आदेश को चुनौती देती है जिसे मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पहले पारित किया था. उस आदेश में अदालत ने सोनिया गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था. याचिकाकर्ता का कहना है कि यह फैसला तथ्यों के सही आकलन के बिना दिया गया था, इसलिए इस पर पुनर्विचार आवश्यक है.
अदालत ने राज्य सरकार को भी नोटिस भेजा है. अब अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी, जब TCR आने के बाद मामले की आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा.
क्या है पूरा मामला
याचिका में लगाए गए आरोपों के मुताबिक, सोनिया गांधी का नाम वर्ष 1980 की मतदाता सूची में मौजूद था, जबकि उन्होंने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता प्राप्त की. यह भी दावा किया गया है कि वर्ष 1982 में उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया था.
ये हैं याचिकाकर्ता के सवाल
याचिकाकर्ता के मुताबिक, मुख्य सवाल यह है कि नागरिकता प्राप्त करने से पहले उनका नाम पहली बार सूची में कैसे जुड़ा? इसके लिए कौन-से दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे? क्या इनमें जालसाजी या गलत जानकारी शामिल थी? मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सितंबर 2025 में यह याचिका खारिज कर दी थी. अब उसी फैसले के खिलाफ यह रिवीजन दायर किया गया है, जिस पर उच्च अदालत ने दोबारा विचार शुरू कर दिया है.
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