दिल्ली विधानसभा में आज यानि गुरुवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पूर्ववर्ती सरकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिछली सरकार ने जनता के टैक्स से मिली राशि को जनहित के स्थायी कार्यों की बजाय मुफ्त योजनाओं और प्रचार-प्रसार में बहा दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा, “पूर्व सरकार ने मुफ्त योजनाएं इस तरह प्रस्तुत कीं जैसे वे जनता को अपनी जेब से दे रहे हों, जबकि सच्चाई यह है कि वह पूरा पैसा जनता का था. लोगों ने टैक्स इसलिए नहीं दिया कि उसे बिजली-पानी मुफ्त करने में उड़ा दिया जाए, बल्कि इसलिए दिया था कि सड़कें बनें, स्कूल, अस्पताल और सार्वजनिक ढांचे तैयार हों.”
सीएजी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
मुख्यमंत्री ने वर्ष 2023-24 की सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए विधानसभा को बताया कि दिल्ली को केंद्र सरकार से कुल 4800 करोड़ रुपये की ग्रांट मिली थी, जिसमें से:
• 3250 करोड़ रुपये मुफ्त बिजली योजना पर
• 482 करोड़ रुपये फ्री बस सेवा पर
• 463 करोड़ रुपये जल आपूर्ति पर खर्च कर दिए गए.
मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि क्या यह पूरा पैसा सिर्फ मुफ्त सुविधाएं देने में ही खर्च होना चाहिए था? उन्होंने कहा कि विकास योजनाएं इसलिए रोकी गईं क्योंकि उनमें ‘प्रधानमंत्री’ शब्द जुड़ा था. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि 24 अस्पतालों की आधारशिला रखी गई, लेकिन आज तक निर्माण पूरा नहीं हुआ.
• 3427 करोड़ रुपये की लागत वाले इन अस्पतालों की लागत अब बढ़कर और 2700 करोड़ रुपये अधिक हो गई है.
• स्वास्थ्य क्षेत्र में 50%, शिक्षा व खेल में 42%, और सड़क निर्माण में 40% तक की गिरावट दर्ज की गई.
• शहरी विकास बजट में भी 36% कटौती की गई.
घाटा और वित्तीय अनियमितता
मुख्यमंत्री ने बताया कि
• 2022-23 में दिल्ली सरकार का राजस्व अधिशेष 4566 करोड़ रुपये था.
• लेकिन 2023-24 में सरकार 3934 करोड़ रुपये के घाटे में चली गई.
• यानी दो वर्षों में कुल 8600 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया गया.
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार का पूरा राजस्व वेतन, ब्याज भुगतान और अन्य गैर-पूंजीगत खर्चों में ही खर्च हो गया, जिससे कोई स्थायी सार्वजनिक संपत्ति नहीं बनी.
केंद्र की योजनाओं को ठुकराया गया
मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने दिल्ली को कई राष्ट्रीय योजनाओं के लिए बजट जारी किया, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें लागू नहीं किया. इनमें शामिल थीं:
• पीएम श्री स्कूल योजना
• पीएम विश्वकर्मा योजना
• पीएम स्वनिधि योजना
• राष्ट्रीय आयुष मिशन
• आर्थिक आवास योजना
• अमृत योजना
• यमुना सफाई परियोजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं में “प्रधानमंत्री” शब्द जुड़ा होने के कारण, राजनीतिक द्वेषवश दिल्ली सरकार ने इनका क्रियान्वयन नहीं किया.
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि:
• 31 मार्च 2024 तक 842 करोड़ रुपये बिना खर्च के पड़े रहे.
• 3760 करोड़ रुपये की ग्रांट मिलने के बावजूद उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) तक नहीं भेजा गया.
• मेट्रो परियोजनाओं में राज्य सरकार ने अपना हिस्सा कभी नहीं दिया, जबकि केंद्र बराबर की हिस्सेदारी दे रहा था.
• एनएचएआई परियोजनाओं में भी राज्य सरकार ने सहयोग नहीं किया.
PAC को सौंपने की मांग
मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि सीएजी रिपोर्ट को लोक लेखा समिति (PAC) को सौंपा जाए ताकि इन वित्तीय अनियमितताओं की गहराई से जांच हो सके. उन्होंने कहा, “यह पैसा जनता के कल्याण के लिए था, न कि राजनीतिक प्रचार और मुफ्त योजनाओं के प्रचार के लिए. जनता को हर खर्च का हिसाब मिलना चाहिए.”