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दिल्ली सरकार को राजधानी में क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) तकनीक अपनाने की मंजूरी मिल गई है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इसके लिए औपचारिक अनुमति जारी कर दी है. इस पहल का उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना और कृत्रिम बारिश के जरिए पर्यावरण को राहत पहुंचाना है.
दिल्ली औऱ IIT कानपुर के बीच करार
बता दें कि दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर के बीच इस परियोजना को लेकर करार हुआ है. दोनों संस्थाएं मिलकर क्लाउड सीडिंग की तकनीक का परीक्षण करेंगी. इसके तहत 7 अक्टूबर से 9 अक्टूबर के बीच राजधानी में पहला ट्रायल किया जाएगा.
हिंडन एयरबेस से होगा सेना के विमान का इस्तेमाल
इस ट्रायल के लिए हिंडन एयरबेस से सेना के विमान का इस्तेमाल होगा. यह विमान बादलों में जाकर रसायन छिड़काव के जरिए कृत्रिम वर्षा कराने की कोशिश करेगा. ट्रायल विशेष रूप से उत्तर-पश्चिम दिल्ली के इलाके में किया जाएगा और 100 किलोमीटर की रेडियस में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी. पूरे अभियान की वैज्ञानिक निगरानी आईआईटी कानपुर की टीम करेगी.
तो वायु प्रदूषण से मिलेगी मुक्ति
क्लाउड सीडिंग को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रयोग सफल रहा तो दिल्ली जैसे बड़े महानगरों में वायु प्रदूषण और धूल कणों के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. वहीं, इससे शहरी क्षेत्रों में कृत्रिम बारिश की संभावना भी बढ़ेगी, जो पर्यावरणीय संकट से निपटने का एक नया विकल्प हो सकता है.
क्या क्लाउड सीडिंग?
क्लाउड सीडिंग एक ऐसी उन्नत वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसका उपयोग मौसम में कृत्रिम बदलाव लाने के लिए किया जाता है. यह तकनीक विशेष रूप से तब अपनाई जाती है जब किसी क्षेत्र में वर्षा की कमी हो या सूखे की स्थिति बनी हो. इसका मुख्य उद्देश्य बादलों से कृत्रिम रूप से बारिश या बर्फबारी कराना होता है.
कैसे काम करती है क्लाउड सीडिंग?
इस प्रक्रिया के तहत विशेष प्रकार के रसायनों को हवाई जहाज, ड्रोन या रॉकेट के माध्यम से सीधे बादलों में छोड़ा जाता है. इनमें प्रमुख रूप से सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे तत्व शामिल होते हैं. ये पदार्थ बादलों में जाकर 'सीडिंग एजेंट' के रूप में कार्य करते हैं.
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