केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस को राष्ट्रीय राजधानी में कानून व्यवस्था कायम रखने और शांति सुनिश्चित करने के मंगलवार को निर्देश दिए. शाह ने यह भी कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) धर्म आधारित प्रक्रिया नहीं है. उन्होंने एक मीडिया कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में कहा, 'जो कोई भी एनआरसी में शामिल किए जाने योग्य नहीं है, उसे देश से बाहर भेज दिया जाएगा.'
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उन्होंने कहा, 'मैंने दिल्ली पुलिस को दिल्ली में कानून व्यवस्था बनाए रखने और शांति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.' गृह मंत्री की यह टिप्पणी रविवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और मंगलवार को सीलमपुर इलाके में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद आई है.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस द्वारा बल प्रयोग किए जाने के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों ने छह बसों और एक निजी वाहन को आग लगा दी थी. उन्होंने कहा, 'आपको नहीं लगता कि पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी? पुलिस ने कार्रवाई की क्योंकि यह उनकी ड्यूटी है और उनके लिए सही है. पुलिस छात्रों के पीछे नहीं गई थी.'
गृह मंत्री ने कहा कि देश में 224 विश्वविद्यालयों में से केवल 22 में प्रदर्शन हुए जिनमें से चार बड़े विश्वविद्यालय हैं. गृह मंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे विश्वविद्यालयी छात्रों के बारे में पूछे जाने पर कहा, 'इसलिए यह कहना सही नहीं है कि कई विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन हुए हैं.'
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उन्होंने कहा, 'छात्रों ने सीएए को सही तरीके से नहीं पढ़ा है. मैं उनसे सही तरीके से इसे पढ़ने की अपील करता हूं. अगर उनके कुछ मुद्दे हैं तो वे सरकार के समक्ष उसे रख सकते हैं. जब लोग इस कानून को बेहतर तरीके से समझ जाएंगे तो प्रदर्शन धीरे-धीरे कम हो जाएंगे.'
शाह ने इस सुझाव को भी खारिज कर दिया कि मोदी सरकार नया नागरिकता कानून और तीन तलाक तथा अन्य कानून लाकर ‘हिंदू राष्ट्र’ बना रही है. उन्होंने कहा, 'बिल्कुल नहीं. हर किसी को अपने धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है. इस सरकार का धर्म केवल भारत का संविधान है.'
एनआरसी को देशभर में लागू करने के अपने बयान के बारे में पूछने पर गृह मंत्री ने कहा कि 'वास्तविक भारतीय नागरिकों' को डरना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा, 'किसी भी भारतीय को देश से बाहर नहीं भेजा जाएगा. मैं अल्पसंख्यकों को बताना चाहता हूं कि एनआरसी के लिए उन्हें और अन्य लोगों को विशेष सुविधा दी जाएगी. लेकिन मैं यह भी पूछना चाहता हूं कि क्या हमें अपनी सीमाओं को अवैध शरणार्थियों के लिए खुला रखना चाहिए?'
उन्होंने कहा, 'जब भी एनआरसी आएगा तो अल्पसंख्यक समुदाय के किसी भी शख्स को अन्याय का सामना नहीं करना पड़ेगा लेकिन घुसपैठिए को बख्शा नहीं जाएगा.' यह पूछे जाने पर कि क्या गृह मंत्री के तौर पर वह संवेदनशील और महत्वपूर्ण फैसले लेने की जल्दबाजी में है, इस पर शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार जल्दबाजी में नहीं है लेकिन लंबे समय से पड़ी समस्याओं को हल करने की कोशिश कर रही है.
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शाह ने कहा, 'हम जल्दबाजी में नहीं हैं. निकट भविष्य में कोई चुनाव नहीं है. हम राजनीति नहीं कर रहे हैं. हम उन दिक्कतों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें कांग्रेस ने लंबे समय से अटकाकर रखा.' मौजूदा आर्थिक हालात पर शाह ने कहा कि उन्हें वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण के नेतृत्व पर भरोसा है और अगली तीन तिमाही में अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी.
महाराष्ट्र में सरकार बनाने में अपनी पार्टी की नाकामी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कोई नाकामी नहीं हुई लेकिन भाजपा सरकार नहीं बना सकी क्योंकि उसकी सहयोगी शिवसेना लालची हो गई और वह अपना मुख्यमंत्री चाहती थी जो भाजपा को मंजूर नहीं था. अमित शाह ने कहा, 'अगर उन्होंने (शिवसेना) चुनावों से पहले बात की होती तो सब कुछ स्पष्ट हो गया होता. मैं कह सकता हूं कि हमें इससे एक सीख मिली.'
Source : Bhasha