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ब्रिज को जल्द से जल्द बनवाया जाए : दुर्गेश पाठक

‘आप’ विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि पीएम मोदी के शासन में हो रहे भ्रष्टाचार के तहत भाजपा शासित एमसीडी ने जो ब्रिज 2006 में 55 करोड़ की लागत में सेंक्शन किया था, वह 87 करोड़ खर्चने के बाद 2022 में भी पूरा नहीं हुआ है.

Updated on: 24 Jul 2022, 06:06 PM

नई दिल्ली:

‘आप’ विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि पीएम मोदी के शासन में हो रहे भ्रष्टाचार के तहत भाजपा शासित एमसीडी ने जो ब्रिज 2006 में 55 करोड़ की लागत में सेंक्शन किया था, वह 87 करोड़ खर्चने के बाद 2022 में भी पूरा नहीं हुआ है. जिस ब्रिज को 2010 में बन जाना चाहिए था उसकी शुरुआत 2022 में की गई है. ‘आप’ विधायक ने ब्रिज को जल्द से जल्द बनवाने की मांग की है. साथ ही उन्होंने घूस खाने वालों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की विनती की है.

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता, राजेंद्र नगर से विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने रविवार को पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आज भाजपा शासित एमसीडी के एक ऐसे भ्रष्टाचार की पोल खोलने जा रहा हूं जो पीएम मोदी जी की पूरी भाजपा की पोल को खोलता है. पीएम मोदी जी के शासन में ऐसा भ्रष्टाचार हो रहा है जो कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. मोदी की भाजपा शासित एमसीडी दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात कर रही है. वह दिल्ली में जो भी काम करने की घोषणा करती है वह पूरा काम भ्रष्टाचार में लिप्त होता है.

उन्होंने कहा कि 2006 में जब दिल्ली में कॉमनवेल्थ टूर्नामेंट कराने की बात हुई तो दिल्ली में विकास संबंधी कई प्रॉजेक्ट शुरू किए गए. उसी दौरान वजीरपुर विधानसभा स्थित किशनगंज के सदर बाजार के क्षेत्र में रेलवे अंडरब्रिज बनना था. यह ब्रिज 2006 में सैंक्शन हुआ जिसका उद्घाटन 2010 में होना था. ब्रिज के 4 बॉक्स बनने थे लेकिन आज 2022 में अभीतक पहले बॉक्स पर ही काम चल रहा है. दूसरी दिलचस्प बात यह है कि ब्रिज की लागत 55 करोड़ रुपए तय की गई थी लेकिन उसमें अबतक 87 करोड़ रुपए लग चुके हैं. उस समय कई नेताओं ने इसका कई बार उद्घाटन किया, कई बार लड्डू भी बंटे. चांदनी चौक से सांसद, पूर्व मेयर जय प्रकाश जी ने भी इसका उद्घाटन किया था.

ब्रिज की कुछ तस्वीरें दिखाते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि इस मामले की जांच होना जरूरी है. जाहिर है जब एमसीडी ने ब्रिज की लागत 55 करोड़ तय की थी तो उन्होंने इसमें 2-4 लाख रुपए नेताओं और अन्य लोगों को खिलाने के लिए भी रखा होगा. कहने का अर्थ यह है कि वास्तव में 40-45 करोड़ का काम रहा होगा जिसमें 10-15 करोड़ रुपए अतिरिक्त जोड़े होंगे. अबतो 87 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। कहते हैं कि पीएम मोदी जी के राज में भाजपा वाले बहुत पैसा लेते हैं. मेरा विनम्र निवेदन है कि इस ब्रिज को जल्द से जल्द बनवाया जाए। साथ ही जिन लोगों ने इसमें पैसे खाए हैं उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए.