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Bomb blast:मौत का मंजर याद कर 16 साल बाद भी कांप जाती रूह, इन घरों में नहीं मनाई जाती आज भी दीवाली

दिल्ली की सरोजनी नगर मार्केट में हुए खौफनाक बम ब्लास्ट को याद कर आज भी आंखें नम हो जाती है. 16 साल बीत जाने के बाद भी जिन लोगों ने ये हादसा देखा है उनकी आंखों में डर देखा जा सकता है.

Updated on: 29 Oct 2021, 05:23 PM

highlights

  • दिल्ली की सरोजनी नगर मार्केट में आज ही के दिन हुआ था बम ब्लास्ट 
  • 50 लोगों गवां दी थी जान, 127 लोग हो गए थे घायल
  •  16 साल बाद नम आंखों से दी मृतकों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि

नई दिल्ली :

दिल्ली की सरोजनी नगर मार्केट में हुए खौफनाक बम ब्लास्ट को याद कर आज भी आंखें नम हो जाती है. 16 साल बीत जाने के बाद भी जिन लोगों ने ये हादसा देखा है उनकी आंखों में डर देखा जा सकता है. बता दें कि य खौफनाक बम ब्लास्ट की चपेट में आकर 50 लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था. जबकि 127 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. आपको बता दें जिन लोगों ने हादसे में अपने परिजनों को खोया है, उनके घरों में आज भी दीवाली नहीं मनाई जाती. शुक्रवार को बम धमाके में मारे गए लोगों को नम आखों से श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

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 आज से 16 साल पहले 29 अक्टूबर 2005 को सरोजिनी नगर मार्केट में बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें लगभग 50 लोगों की मौत हुई थी और 127 लोग घायल हुए थे. 16 साल बीतने के बाद भी बम धमाके में मारे गए लोगों के परिजन आज भी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. घटना को हुए भले ही 16 साल बीत गए हैं लेकिन आज भी धमाके की वह गूंज पीड़ित लोगों के कानों में गूंजती रहती है. श्रद्धांजलि के इस कार्यक्रम में मृतक लोगों के परिजनों ने नम आंखों के साथ फूल चढ़ाया और मोमबत्ती जलाकर उन्हें याद किया. साथ ही बम धमाके के बारे में लोगों को बताया तो वे भी सिहर उठे.

मृतक लोगों के बच्चे आज 16 साल बीतने के बालिग हो चुके हैं. उनके ऊपर अपने बचे हुए परिवार के रोजी रोटी की जिम्मेदारी है. लेकिन इनका कहना है लगातार इतने सालों से सरकार से रोजगार की मांग करते करते थक गए हैं, लेकिन केंद्र या राज्य सरकार उन्हें नौकरी नहीं दे रही  है. वही धमाके को लेकर कई ऐसे पीड़ित है जिनको अभी भी मेडिकल उपचार की जरूरत है. साउथ एशियन फोरम फॉर पीपल अगेंस्ट टेरर के अध्यक्ष अशोक रंधावा लगातार बीते सालों से कोशिश करने के बाद कई बार कोर्ट के चक्कर लगाने के बाद पीड़ितों के मुआवजे का इंतजाम तो करवा दिए, लेकिन पीड़ितों का परिवार आज भी मेडिकल समस्या से जूझ रहा है. वहीं जिन्होंने अपने पूरे खानदान को खोया है वह अपनी रोजी रोटी के लिए सरकार से रोजगार की गुहार कर रहे हैं.