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जामिया हिंसा पर 'ब्लडी संडे 2019' रिपोर्ट आई सामने, दिल्ली पुलिस पर लगे ये संगीन आरोप

PUDR की 6 मेंबर की फैक्ट फाइनिंग टीम ने जामिया का दौरा किया और घायलों से मुलाकात की. गुरुवार को इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट जारी की. कमेटी ने अपनी इस रिपोर्ट को 'ब्लडी संडे 2019' नाम दिया है.

Updated on: 27 Dec 2019, 10:16 AM

highlights

  • जामिया हिंसा पर पीयूडीआर की 6 सदस्यी टीम ने जारी की अपनी रिपोर्ट. 
  • इस टीम ने जामिया कैंपस में जाकर और छात्रों से मुलाकात कर अपनी रिपोर्ट तैयार की है. 
  • इस रिपोर्ट में जामिया में हुई हिंसा पर दिल्ली पुलिस के ऊपर गंभीर आरोप लगाए हैं. 

नई दिल्‍ली:

जामिया (Jamia millia Islamia Campur) में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) और एनसीआर (NRC) के खिलाफ विरोध के दौरान पुलिस के कार्रवाई पर पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (PUDR) की 6 सदस्यी टीम ने एक रिपोर्ट तैयार की है और इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस ने दिल्ली पुलिस ने जामिया के छात्रों पर रणनीति के तहत स्टूडेंट्स के खिलाफ एक्शन लिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सफाई बेतुकी है कि पत्थरबाजों के निपटने के लिए वो कैंपस के अंदर घुसी और एक्शन लिया. घायल लोगों की चोटें कुछ और ही कहानी बयां करती हैं.

PUDR की 6 मेंबर की फैक्ट फाइनिंग टीम ने जामिया का दौरा किया और घायलों से मुलाकात की. गुरुवार को इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट जारी की. कमेटी ने अपनी इस रिपोर्ट को 'ब्लडी संडे 2019' नाम दिया है.

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रिपोर्ट में पुलिस पर आरोप लगाया गया है कि दिल्ली पुलिस ने जामिया में आंसू गैस के 400 गोले दागे. पुलिस के कार्रवाई के दौरान लोगों के सिर, चेहरे, पैर पर चोटे आई हैं. यहां तक घायल लोगों को अस्पताल से बिना इलाज दिए हिरासत में ले लिया गया. पीयूडीआर ने मांग की है कि इस मामले में जल्द से जल्द पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. पीयूडीआर ने यह भी बताया कि 13 दिसंबर से 23 दिसंबर तक दिल्ली पुलिस ने एंटी सीएए प्रदर्शनों के दौरान 1500 लोगों को हिरासत में लिया. प्रदर्शन जामिया, डीयू, लाल किले, मंडी हाउस, असम भवन, यूपी भवन, सीलमपुर, दरियागंज सीमापुरी में हुए.
PUDR की रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर दो बार हमला किया था, पहली बार 13 दिसंबर को और दूसरी बार 15 दिसंबर को. रिपोर्ट के अनुसार, 13 दिसंबर को जब प्रदर्शनकारी संसद भवन की ओर रुख कर रहे थे, तब भी पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए उन पर लाठी चार्ज किया था और आंसूगैस के गोले भी छोड़े थे.

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एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीयूडीआर ने जानकारी दी कि फैक्ट फाइडिंग टीम ने जामिया में जाकर प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का जायजा लिया. यह सच है कि वहां लोग पथराव कर रहे थे, लोगों ने मोटरबाइकों में भी आग लगा दी. लेकिन यह अजीब है कि पुलिस भी इसमें शामिल है, जो आपराधिक है. बसों को जलाने और जामिया के बाहर क्या हुआ, उस पर जांच होनी चाहिए. टीम ने कहा, जामिया के गेट से लाइब्रेरी और रीडिंग रूम में सीसीटीवी कैमरे पर हमला किया गया. पुलिस का दावा है कि पथराव के बाद कुछ लोग जामिया कैंपस में घुस गए थे, इसलिए उन्हें परिसर में जाना पड़ा.

पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स ने कहा, इस मामले पर Supreme Court ने कुछ भी करने से इनकार कर दिया, यह दुखदायी है. हम अदालत से अपील करेंगे कि हालात पर सूचना लें. वर्दी में अपराधियों को मुफ्त में घूमने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.