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कृषि कानूनों पर बहस की चुनौती दी, फिर BJP के बुलाने नहीं पहुंचे केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों पर बहस की चुनौती दी, तो भाजपा की दिल्ली इकाई ने उनके लिए कुर्सी लगवाकर आमंत्रित किया.

Updated on: 28 Dec 2020, 08:08 AM

नई दिल्ली:

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों पर बहस की चुनौती दी, तो भाजपा की दिल्ली इकाई ने उनके लिए कुर्सी लगवाकर आमंत्रित किया. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी के आवास पर प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता और सभी भाजपा नेता मुख्यमंत्री केजरीवाल का इंतजार करते रहे. आदेश गुप्ता और मनोज तिवारी ने कहा कि आज भले ही मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी व्यस्तता के कारण न पहुंचे हों, लेकिन आगे वे अपनी सुविधानुसार समय और स्थान बताएं तो भाजपा नेता उन्हें तीनों कृषि कानूनों के फायदे बताएंगे.

तिवारी ने कहा कि उन्होंने आज केजरीवाल को चर्चा के दौरान पिलाने के लिए स्पेशल चाय की भी व्यवस्था की थी, लेकिन बुलावे के बाद भी मुख्यमंत्री नहीं आ रहे हैं. दरअसल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को सिंघु बॉर्डर पर जाकर प्रदर्शनकारी किसानों से मुलाकात कर केंद्र सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की। इस दौरान उन्होंने कानूनों पर बहस की चुनौती देते हुए कहा, 'मैं किसी भी केंद्रीय मंत्री को चुनौती देता हूं कि वह किसानों के साथ खुली बहस करें, जिससे पता चल जाएगा कि ये कृषि कानून लाभदायक हैं या हानिकारक.'

केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने उनकी चुनौती तो नहीं स्वीकार की, लेकिन दिल्ली भाजपा इकाई ने जरूर उन्हें बहस के लिए आमंत्रित किया. इसकी पहल भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने की. मनोज तिवारी के 24, मदर टेरेसा क्रिसेंट रोड स्थित आवास पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता भी पहुंचे. आदेश गुप्ता ने कहा कि दूसरे राज्यों मे जाकर मुख्यमंत्री केजरीवाल कहते हैं कि कृषि कानून के क्या लाभ हैं, उन्हें यह समझाने के लिए कोई नहीं आया. आज जब उनको यह समझाने के लिए बुलाया, तो वे आए नहीं.

मनोज तिवारी ने कहा कि कुछ दिनों पहले निगम के तीनों महापौर मुख्यमंत्री के दरवाजे के बाहर कई दिनों तक रहे, लेकिन केजरीवाल बाहर निकलकर मिलने तक नहीं आए. अब कृषि कानूनों पर बहस के लिए बुलावे के बाद भी वह नहीं आए. गौरतलब है कि रविवार रात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसान आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे थे. वहां उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को कॉर्पोरेट हित साधने वाला बता मोदी सरकार से उन्हें वापस लेने की मांग की थी.