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दिल्ली कैबिनेट की आठवीं बैठक (social media)
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में दिल्ली कैबिनेट की आठवीं बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है. बैठक में “The Delhi School Education (Transparency in Fixation and Regulation of Fees) Ordinance, 2025” को मंजूरी प्रदान की गई, जिसका उद्देश्य राजधानी के निजी स्कूलों में हो रही मनमानी फीस वसूली पर रोक लगाना है. इस अध्यादेश से लाखों छात्रों और उनके अभिभावकों को सीधी राहत मिलेगी.
कैबिनेट बैठक के बाद दिल्ली के शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण मंत्री आशीष सूद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि यह अध्यादेश मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार की प्राथमिकता में शामिल शिक्षा सुधारों की दिशा में एक ठोस कदम है. उन्होंने बताया कि पिछले 100 दिनों में सरकार ने लगातार जनहित से जुड़े मुद्दों पर निर्णय लिए हैं और यह अध्यादेश उसी प्रतिबद्धता का परिणाम है.
अध्यादेश के मुख्य बिंदु:
• मनमानी फीस पर रोक:
यह अध्यादेश निजी स्कूलों की मनमर्जी से की जाने वाली फीस वसूली पर नियंत्रण स्थापित करेगा.
• अभिभावकों को राहत:
इससे उन अभिभावकों को राहत मिलेगी जिनसे अभी तक दबाव बनाकर अनुचित रूप से फीस ली जाती रही है.
• वित्तीय शोषण पर विराम:
शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह निर्णय माता-पिता के आर्थिक शोषण को समाप्त करने की दिशा में निर्णायक साबित होगा.
• रेट्रोस्पेक्टिव प्रभाव:
अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी माना जाएगा, जिससे पिछली मनमानी वसूली पर भी कार्यवाही की जा सकेगी.
• 1677 निजी स्कूल होंगे दायरे में:
दिल्ली के सभी 1677 निजी स्कूल इस कानून के दायरे में आएंगे, जिससे फीस वृद्धि में पारदर्शिता आएगी.
आशीष सूद ने कहा कि यह अध्यादेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के संकल्प से प्रेरित है और इसका मकसद शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी, जवाबदेह और जनहितकारी बनाना है. उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों, विशेष रूप से आम आदमी पार्टी की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों का आर्थिक शोषण हुआ, लेकिन हमारी सरकार ने इस अन्याय को खत्म करने का संकल्प लिया है.
आशीष सूद ने कहा कि यह अध्यादेश खासतौर पर मध्यमवर्गीय और मेहनतकश परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. उन्होंने इसे दिल्ली के इतिहास में शिक्षा क्षेत्र का एक “स्वर्णिम क्षण” करार दिया. अब यह अध्यादेश उपराज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति महोदया की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. जैसे ही मंजूरी मिलती है, यह अध्यादेश कानून का रूप ले लेगा और लागू हो जाएगा.