logo-image

एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में सीबीआई की याचिका पर मारन बंधुओं को नोटिस

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में मारन बंधुओं व अन्य को निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर विचार करते हुए सोमवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन तथा अन्य को नोटिस जारी किया।

Updated on: 22 May 2017, 06:51 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में मारन बंधुओं व अन्य को निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर विचार करते हुए सोमवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन तथा अन्य को नोटिस जारी किया।

न्यायमूर्ति एस.पी.गर्ग ने सीबीआई की याचिका पर मारन बंधुओं तथा अन्य से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई की अगली तारीख 29 अगस्त तय की।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें मारन बंधुओं तथा अन्य पर लगाए गए सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपों को खारिज कर दिया गया था। निचली अदालत ने कहा कि उसके समक्ष रखे गए सबूतों के आधार पर 'प्रथम दृष्ट्या किसी भी आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का मामला नहीं बनता।'

आरोपियों को बरी करने के खिलाफ ईडी के उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने के बाद न्यायालय ने पिछले सप्ताह मारन बंधुओं तथा अन्य से याचिका पर जवाब मांगा था।

सीबीआई ने मामले में मारन बंधुओं, कंपनी सन डायरेक्ट टीवी प्राइवेट लिमिटेड (एसडीटीपीएल) तथा साउथ एशिया एंटरटेनमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।

एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में दयानिधि मारन पर आरोप है कि उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-1 की सरकार में मंत्री पद पर रहते हुए एयरसेल कंपनी को मलेशियाई कारोबारी टी.ए.आनंद कृष्णन के हाथ बेचने को लेकर उसके मालिक शिवशंकरन को अपना हिस्सा बेचने के लिए उनपर दबाव डालकर अपने पद का दुरुपयोग किया था।

शिवशंकरन ने आरोप लगाया है कि उनकी कंपनी की बिक्री में मारन ने मैक्सिस समूह का पक्ष लिया, जिसके बदले में कंपनी (मैक्सिस) ने एस्ट्रो नेटवर्क के माध्यम से उस कंपनी में निवेश किया, जो मारन की बताई जाती है।

रकम का भुगतान उन दो कंपनियों एसडीटीपीएल तथा एसएएफआई को किया गया, जिसे कलानिधि मारन नियंत्रित करते हैं। जांच में खुलासा हुआ कि एसडीटीपीएल के मालिक कलानिधि मारन तथा उनकी पत्नी कावेरी कलानिधि हैं।

और पढ़ें: ट्रिपल तलाक मुद्दे पर वेंकैया नायडू ने चेताया, कहा- मुस्लिम ख़ुद खत्म करे, नहीं तो सरकार बनाएगी कानून

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया गया था। सीबीआई तथा ईडी दोनों ने ही आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे और निचली अदालत ने सभी आरोपियों को दोनों ही मामलों में बरी कर दिया है।

ईडी ने मारन बंधुओं, कावेरी कलानिधि, एसएफएल के प्रबंध निदेशक के.षणमुगम तथा कंपनियों-एसएएफएल तथा एसडीटीपीएल- के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। अपने आरोप पत्र में ईडी ने आरोप लगाया कि मॉरिशस की कंपनियों ने गैरकानूनी ढंग से दयानिधि मारन को 742.58 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

और पढ़ें: SC में केंद्र सरकार ने कहा ट्रिपल तलाक अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक का मामला नहीं, महिलाओं के हित के लिए लड़ाई