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एसीएमएम कोर्ट ने भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता सहित दिल्ली भाजपा नेताओं को जारी किया समन 

डीजेबी और राघव चड्ढा ने संवैधानिक संस्था के सम्मान, पवित्रता और छवि के संरक्षण के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया.

Updated on: 20 Nov 2021, 05:01 PM

highlights

  • भाजपा नेताओं को दिल्ली जल बोर्ड को कहा था दलाली जल बोर्ड   
  • डीजेबी के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने की थी मानहानि की शिकायत 
  • भाजपा ने दिल्ली जल बोर्ड में 26 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का लगाया था आरोप  

नई दिल्ली:

एसीएमएम कोर्ट राउज एवेन्यू के जज धर्मेंद्र सिंह ने मानहानि और साजिश के मामले में दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता और अन्य भाजपा नेताओं को समन जारी किया है.दिल्ली जल बोर्ड ने उपाध्यक्ष राघव चड्ढा के साथ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज की थी.अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर की गई कि दिल्ली जल बोर्ड और उपाध्यक्ष राघव चड्ढा को बदनाम के लिए भाजपा के नेता प्रेस कांफ्रेंस, होर्डिंग्स, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, समाचार पत्रों और विज्ञापनों के माध्यम से झूठे और मानहानिकारक आरोप लगा रहे हैं.

भाजपा नेताओं ने दुर्भावनापूर्ण और निराधार रूप से संस्थान के भीतर 26 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का झूठा आरोप लगाया.इसके अलावा बार-बार 'दलाली जल बोर्ड' कहकर संस्था का उपहास किया और राघव चड्ढा के खिलाफ भ्रष्टाचार के बेबुनियाद आरोप लगाए.दिल्ली जल बोर्ड और उपाध्यक्ष राघव चड्ढा की छवि के जनता की नज़र में बदनाम करने के लिए आरोप लगाए गए.

दिल्ली जल बोर्ड और राघव चड्ढा की ओर से दायर आपराधिक मानहानि शिकायत में कहा गया कि भाजपा नेताओं की दिल्ली जल बोर्ड की साफ छवि को धूमिल करने की एक सुनियोजित साजिश थी.जिसका उद्देश्य दिल्ली सरकार के कुशल प्रशासन और कामकाज को बाधित करना था. जिसके चलते जानबूझकर बदनाम और कलंकित करने का अभियान चलाया गया.पूरी तरह से भ्रामक आरोप लगाकर और झूठ फैलाकर दिल्ली जल बोर्ड और राघव चड्ढा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई.

राघव चड्ढा ने कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा था कि राजेंद्र नगर विधानसभा से विधायक, आम आदमी पार्टी के युवा प्रवक्ता और विधायी समितियों के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सकारात्मक प्रतिष्ठा अर्जित की है, जो भाजपा नेताओं के निराधार आरोपों से धूमिल हुई है.इस मामले में अदालत में गवाहों ने बयान दर्ज करने की प्रक्रिया में शिकायत कर्ताओं की दलीलों का समर्थन किया.नतीजतन, गवाहों और शिकायतकर्ताओं द्वारा दिए गए बयानों को ध्यान में रखते हुए एलडी एसीएमएम धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि इस मामले में प्रतिवादियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार हैं.शिकायत में लगाए गए आरोप, CW1 से CW4 की गवाही और उनके द्वारा रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री के बाद अदालत प्रथम दृष्टया संतुष्ट है कि सभी प्रतिवादियों को आरोपी के रूप में समन करने के लिए पर्याप्त आधार हैं जो धारा 500 r/w 34 आईपीसी की धारा के तहत दंडनीय हैं.

दिल्ली जल बोर्ड की ओर से पेश हुए विशेष वकील प्रशांत मनचंदा ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड एक न्यायिक व्यक्ति होने के नाते कानून के प्रासंगिक प्रावधान के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के आधार पर मानहानि की शिकायत भी दर्ज कर सकता है.इसके अनुसरण में न्यायालय ने उक्त सबमिशन को स्वीकार कर लिया और आदेश में कहा कि दिल्ली जल बोर्ड एक न्यायिक व्यक्ति होने के नाते एक पहचान योग्य निकाय है.इसके अलावा यह स्पष्ट है कि वह मानहानि के लिए शिकायत दर्ज कर सकता है.

दिल्ली जल बोर्ड और राघव चड्ढा की ओर से पेश वकील ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड में कुशल प्रशासन के जरिए राघव चड्ढा ने लोगों को निर्बाध स्वच्छ पानी की आपूर्ति के सुनिश्चित की.इसके साथ बोर्ड के उपाध्यक्ष के रूप में बोर्ड की अन्य परियोजनाओं और महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा किया.लेकिन आदेश गुप्ता सहित अन्य भाजपा नेताओं ने आम आदमी पार्टी, दिल्ली जल बोर्ड और राघव चड्ढा पर झूठे, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक आरोप लगाकर आधिकारिक दायित्वों के निर्वहन में जानबूझकर बाधा डालने और बाधित करने का प्रयास किया है.जिसका बोर्ड के स्टाफ सदस्यों पर भी अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

इसके अलावा शिकायत में यह भी कहा गया है कि राजनीति से प्रेरित होकर दुर्भावना के कारण बिल्कुल झूठे और निराधार आरोप व्यवस्थित तरीके से लगाए गए हैं.आरोपी व्यक्तियों की ओर से लगाए गए आरोप आगामी एमसीडी चुनावों में राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए सोची समझी साजिश का संकेत हैं.भाजपा नेताओं की ओर से भ्रामक सूचनाएं फैलाई गईं, ताकि बोर्ड और उसके सदस्यों की कर्तव्यों के निर्वहन की क्षमता में अविश्वास पैदा हो सके.विभिन्न स्रोतों के माध्यम से झूठे आरोपों को जिस व्यवस्थित तरीके से पेश किया गया, वह स्पष्ट रूप से आम जनता में दिल्ली जल बोर्ड की गलत तस्वीर बनाने की साजिश की तरफ इशारा करता है.जिससे अन्य संवैधानिक संस्थानों, पड़ोसी राज्यों और उसके संगठनों में इसकी प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति होती है.साथ ही राजनयिक संबंधों पर संभावित प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

इसलिए डीजेबी और राघव चड्ढा ने संवैधानिक संस्था के सम्मान, पवित्रता और छवि के संरक्षण के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया.भाजपा नेताओं ने गलत तरीके से संस्था के महत्वपूर्ण सदस्यों की प्रतिष्ठा को धूमिल कर नुकसान पहुचाने का काम किया है.