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AAP: मंत्री आतिशी बोलीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश बजट 'जुमलों का पिटारा'

वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि आज लोगों पर महंगाई की मार पड़ी हुई है. आटा, दाल, सब्जी, पेट्रोल, डीजल आम आदमी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं.

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Mohit Saxena
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AAP Minister Atishi

AAP Minister Atishi( Photo Credit : social media)

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दिल्ली की AAP सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से गुरुवार को पेश किए गए बजट को जुमला करार दिया. केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार ने आज जो बजट पेश किया है, वो ये साबित करता है कि यह जुमलों की सरकार है. सरकार की ओर से 2014 में कहा था कि हर साल 2 करोड़ नौकरियां देंगे, लेकिन 10 साल बीतने के बाद क्या इस देश के युवाओं को 20 करोड़ नौकरियां मिली? नहीं मिली. 10 करोड़ तो बहुत दूर की बात है, पिछले 10 सालों में मोदी जी की सरकार ने एक करोड़ नौकरियां भी नहीं दी.  

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उन्होंने कहा कि आज केंद्र सरकार में 10 लाख से ज्यादा पद खाली हैं. जो युवा नौकरियां ढूंढ़ रहे हैं, उन्हें न तो प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां मिल रही हैं और न ही सरकारी सेक्टर में और इसके बाद आज फिर एक नया जुमला दिया गया है कि 55 लाख नौकरियां देंगे. 

वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि आज लोगों पर महंगाई की मार पड़ी हुई है. आटा, दाल, सब्जी, पेट्रोल, डीजल आम आदमी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. आम आदमी अपना घर नहीं चला पा रहा है, लेकिन आज बजट में महंगाई को कम करने के लिए एक भी कदम नहीं उठाया गया है.

केंद्र सरकार हमेशा सौतेला व्यवहार करती आई है: आतिशी

वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली के प्रति केंद्र सरकार हमेशा सौतेला व्यवहार करती आई है. इस साल भी केंद्र सरकार ने अपने इसी रवैये को जारी रखा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली को केंद्रीय करों में उचित शेयर मिले तो दिल्ली को केंद्र सरकार के कम से कम 15,000 करोड़ रुपए मिलने चाहिए, लेकिन दिल्ली को उसके एवज में मात्र 1,000 करोड़ मिला है. साथ ही देशभर के स्थानीय निकायों के लिए केंद्र सरकार ने बजट में पैसा रखा है, लेकिन दिल्ली एमसीडी के लिए एक रुपए भी नहीं रखा है, जो दिल्ली के प्रति इनका सौतेला व्यवहार दिखाता है. 

उन्होंने बजट को जुमला करार देते हुए कहा कि इस साल केंद्र सरकार ने कुल बजट का मात्र 1.5 फीसद स्वास्थ्य सेक्टर के लिए और शिक्षा के लिए कुल बजट का मात्र 2 फीसद आवंटित किया है. ये दिखाता है कि बजट की घोषणाएं सिर्फ और सिर्फ केंद्र सरकार के जुमले हैं जबकि वास्तविकता में कुछ नहीं हो रहा है.

बजट 2024-25 के प्रमुख बिंदु

यह बजट खोखले वादों व जुमलों का पिटारा है. इससे पता चलता है कि सरकार ने एक बार फिर गरीबों और बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. ठीक उसी तरह जैसा वो पिछले 10 वर्षों से करती आ रही है.

‘‘विकसित भारत’’ के वादे झूठे दावों और बिना किसी दूरदर्शी एजेंडे की बुनियाद पर बनाए गए हैं. वित्तीय वर्ष 2025 के लिए अनुमानित जीडीपी वृद्धि महज 10.5 फीसद है, जो केंद्रीय बजट 2023-24 के अनुमान को दिखाता है. आखिर विकास कहां है?

उच्च बेरोजगारी

सरकार ने एक बार फिर रोजगार के अवसर पैदा करने और युवाओं को सशक्त बनाने के दावे किए हैं, लेकिन यह कैसे होगा, इस पर फोकस सीमित है. इस बजट में यह नहीं बताया गया है कि अगले साल कुल कितनी नौकरियां पैदा होंगी. हालांकि, केवल एक योजना में 55 लाख नौकरियां पैदा करने की बात कही गई है, लेकिन इसकी समय सीमा के बारे में कोई जिक्र नहीं है. यह तो बस जुमला है.

बढ़ती कीमतें

मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों में भारत ने पिछले 45 वर्षों में सबसे अधिक महंगाई देखी है. हालांकि, सरकार ने पिछले 10 वर्षों में इस क्षेत्र में कुछ नहीं किया है, लेकिन इस बार उम्मीद थी कि चुनाव से पहले के बजट के तौर गरीब और मध्यम वर्ग को कुछ राहत मिलेगी. दुर्भाग्यवश, इस बजट में आम आदमी को टैक्स में कोई राहत नहीं मिली. हम सभी जानते हैं कि साल 2019 में कारपोरेट टैक्स में काफी कमी की गई थी और सारा बोझ मध्यम वर्ग पर चला गया था. इस बार के बजट में उम्मीद थी कि गरीबों को पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के मूल्यों में कुछ राहत मिलेगी, लेकिन इसको लेकर बजट में कोई कदम नहीं उठाया गया है. भारत के इतिहास में पहली बार मोदी सरकार ने 2 साल पहले आटा, दाल, चावल, दूध, दही आदि पर जीएसटी लागू किया. इससे खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी देखने को मिली. 

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा

ये ‘‘विकसित भारत’’ की बात तो करते हैं, लेकिन स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए बजट आवंटन में कोई वृद्धि नहीं की गई है.
आयुष्मान भारत के दायरे में मध्यम वर्ग और बिना स्वास्थ्य बीमा वाले लोगों को शामिल करने को लेकर कोई घोषणा नहीं है. केवल आंगनबाडी और आशा कार्यकर्ताओं को ही लाभ मिलेगा, ऐसे में अन्य लोगों का क्या होगा?

किसान

फरवरी 2016 में पीएम मोदी ने वर्ष 2022 में किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था. आज हम 2024 में खड़े हैं. उन्होंने तीन ‘‘काले कानून’’ लाने के अलावा किसानों के लिए कुछ नहीं किया है. कई फसलों पर एमएसपी की मांग करते हुए 700 से अधिक किसानों की मौत हो गई, लेकिन उसका कोई जिक्र नहीं है.

HIGHLIGHTS

  •  देश के युवाओं को एक बार फिर दिया 55 लाख नौकरियों का जुमला- आतिशी
  •  बजट में महंगाई कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है
  • 10 लाख से ज्यादा पद खाली हैं, युवाओं को न तो सरकारी और ना ही प्राइवेट नौकरी

Source : News Nation Bureau

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